‘ई-कुकिंग परिवर्तन’ के लिए उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण के बारे में सम्मेलन आयोजित

‘ई-कुकिंग परिवर्तन’ के लिए उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण के बारे में सम्मेलन आयोजित

हम भारत में ऊर्जा-कुशल, स्वच्छ और किफायती ई-कुकिंग समाधानों की तैनाती में किस प्रकार तेजी ला सकते हैं? विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आज नई दिल्ली में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई), विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सीएलएएसपी के सहयोग से आयोजित एक सम्मेलन में इस प्रश्न के नए उत्तर खोजने का प्रयास किया गया। ‘ई-कुकिंग परिवर्तन’ के लिए उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण पर आयोजित यह सम्मेलन संस्थागत उपभोक्ताओं, उपभोक्ता अनुसंधान समूहों, नीति निर्माताओं, थिंक टैंक और निर्माताओं को विद्युत कुकिंग में परिवर्तन की रणनीति पर चर्चा करने के लिए एक मंच पर लाया है।

विद्युत मंत्रालय के अपर सचिव श्री अजय तिवारी ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि ई-कुकिंग आने वाले समय में हम सभी भारतीयों के लिए पर्यावरण के अनुकूल आदत बनने जा रही है। कुछ लोग इसे बहुत हल्के में ले रहे हैं, लेकिन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों के लिए ई-कुकिंग के कई आयाम मौजूद हैं। हमारी बड़ी आबादी को देखते हुए, हमारे व्यवहार में परिवर्तन इस ग्रह पर सबसे बड़ा प्रभाव डाल सकता है।

वर्ष 2021 में ग्लासगो में पार्टियों के 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) में प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ किए गए मिशन लाइफ के बारे में जानकारी देते हुए अपर सचिव ने कहा कि भारत ऊर्जा परिवर्तन में एक दिग्गज के रूप में उभरा है। हम अपनी घोषित समयसीमा से बहुत पहले ही नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने जा रहे हैं। यह उपलब्धि लक्ष्य से नौ साल पहले राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान की हमारी उपलब्धि और हमारे नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के हासिल होने से स्पष्ट है।

24/7 बिजली उपलब्धता से संचालित ई-कुकिंग की ओर बढ़ना

अपर सचिव ने कहा कि हम ई-कुकिंग की ओर बढ़ना चाहते हैं क्योंकि हमारे घरों में 24/7 घंटे बिजली की उपलब्धता है। भारत ने केवल 18 महीनों में ऐसे 26 मिलियन परिवारों को सौभाग्य कनेक्शन उपलब्ध कराए हैं, जिनकी विद्युत तक पहुंच नहीं थी। विश्व इतिहास में इतने कम समय में इससे पहले इतने घरों में बिजली के कनेक्शन नहीं दिये गए हैं। हम सभी शहरी क्षेत्रों में 23.5 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 23 घंटे या इससे अधिक बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं। यह इतनी बड़ी उपलब्धि है जिसके कारण बिजली कटौती का युग पीछे छूट गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में 700 मिलियन लोगों के पास अभी भी बिजली तक पहुंच नहीं है और सार्वभौमिक ऊर्जा पहुंच जी20 की प्राथमिकताओं में से एक है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image00118G4.jpg

"ई-कुकिंग भारतीय रसोई का भविष्य बनने जा रहा है"

अपर सचिव ने इस बात पर जोर देकर कहा कि एक बार जब सभी भारतीय घरों में बिजली पहुंच जाएगी, तो ई-कुकिंग भारतीय रसोई का भविष्य बन जाएगी। तकनीक उपलब्ध होने के बाद हम इलेक्ट्रिक कुकिंग को बढ़ावा दे सकते हैं। ई-कुकिंग को बढ़ाया जाना चाहिए इसके लिए मॉडल विकसित करने की आवश्यकता है ताकि ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से आए और कार्बन क्रेडिट का एकत्रीकरण हो सके। मॉडल को इस तरह से काम करना चाहिए जिससे यह शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लिए किफायती सिद्ध हो।

किफायती ई-कुकिंग व्यापार मॉडल के साथ आने की जरूरत है

अपर सचिव ने कहा कि उज्ज्वला की सफलता और इस प्रकार स्वच्छ खाना पकाने के लिए परिवर्तन करने के बाद हम ई-कुकिंग में भी परिवर्तन करना चाहते हैं। सामर्थ्य के महत्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमें सौर ऊर्जा और तापीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से भी ई-कुकिंग को बढ़ावा देना चाहिए। हम एकत्रीकरण मॉडल के साथ आगे आ रहे हैं जिससे कीमतें कम की जा सकती हैं। हम भारतीय रसोई की सेवा करने के लिए ई-कुकिंग के भारतीय मॉडल की ओर आगे बढ़ रहे हैं। यदि हमारे पास मानक और किफायती मॉडल हैं, तो हम 2-3 वर्षों के भीतर सभी शहरी क्षेत्रों को कवर करने में सक्षम हो जाएंगे। वर्ष 2030 तक, हम ई-कुकिंग के तहत अधिक से अधिक घरों को कवर करना चाहते हैं। इससे जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध अपनी लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

ई-कुकिंग अपनाने की दिशा में बहुत कम प्रौद्योगिकी बाधाएं हैंबड़े पैमाने पर प्रतिरुपण की आवश्यकता है

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के महानिदेशक श्री अभय बाकरे ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि आज हम पर्यावरण संरक्षण के बारे में चलाए जा रहे अपने आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गए हैं जहां हम ‘मिशन लाइफ’ के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इलेक्ट्रिक कुकिंग के बारे में महानिदेशक ने कहा कि इस क्षेत्र में तुलनात्मक रूप से बहुत कम शोध करने की आवश्यकता है क्योंकि हमारे पास ई-कुकिंग उपकरण हैं और उपभोक्ता भी इसके बारे में जानते हैं। ई-कुकिंग को अपनाने की दिशा में ग्राहकों की मुख्य चिंता ई-कुकिंग उपकरणों में संभावित दोषों की थीं। इसके अलावा वे यह भी जानना चाहते हैं कि क्या ई-कुकिंग का उपयोग करके सभी व्यंजन तैयार किए जा सकते हैं। जब हमने ‘गो इलेक्ट्रिक अभियान’ शुरू किया तो हमें बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग बुनियादी ढांचा स्थापित करना, इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत और उत्पादन क्षमता शामिल है। इसके विपरित ई-कुकिंग में हमारे सामने ऐसी चुनौतियां नहीं हैं। हमने यह पाया है कि पारंपरिक स्टोव का उपयोग करके तैयार किए जाने वाले लगभग सभी व्यंजन ई-कुकिंग का उपयोग करके भी तैयार किए जा सकते हैं। इसलिए पैमाने पर प्रतिरुपण की जरूरत है। हमारा ध्यान रसोई और उन स्थानों पर रहा है जहां खाना पकाने में प्रतिदिन 8 से 10 घंटे का लंबा समय लगता है। पूर्ण प्रतिस्थापन के लिए आगे बढ़ने के बजाय, उपभोक्ता अपने 50 प्रतिशत कुकरों को इलेक्ट्रिक कुकरों से बदल सकते हैं, ताकि पूर्ण परिवर्तन करने से पहले उन्हें ई-कुकिंग में विश्वास पैदा करने का समय मिल सके।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0026019.jpg

ई-कुकिंग विद्युत सेक्टर और उपभोक्ता दोनों के लिए लाभदायक है

सतत विकास लक्ष्य 7.1 के बारे में महानिदेशक ने कहा कि आज 2.1 बिलियन लोगों के पास स्वच्छ खाना पकाने की पहुंच नहीं है और वे खाना पकाने के हानिकारक तरीकों के संपर्क में रहते हैं। ई-कुकिंग को बढ़ावा देना एसडीजी के साथ आगे बढ़ने का एक स्वाभाविक तरीका है, जिसे वर्ष 2030 तक अर्जित करना है। पहला भाग – बिजली तक सार्वभौमिक पहुंच – भारत में अर्जित की जा चुकी है। हमारे अधिकांश घरों में भी एलपीजी की पहुंच है। जिसके लिए उजाला को धन्यवाद दिया जा सकता है। जब हम ई-कुकिंग में परिवर्तन की ओर बढ़ते हैं तो हम अधिक स्वच्छ ईंधन की ओर जा रहे होते हैं। इलेक्ट्रिक कुकिंग भविष्य है और इसमें उपभोक्ता की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है। ई-कुकिंग से दोबारा गर्म करने में लगने वाली ऊर्जा की भी बचत हो सकती है। अपने समापन में महानिदेशक ने कहा कि हमें शहरी क्षेत्रों से इसकी शुरुआत करनी होगी और टियर-2, टियर-3 शहरों और फिर ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा। उन्होंने कहा कि 2030 तक, ई-कुकिंग विद्युत क्षेत्र और उपभोक्ता दोनों के लिए एक लाभदायक समाधान बनने जा रहा है।

ई-कुकिंग में परिवर्तन से जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता हैकार्बन उत्सर्जन कम हो सकता है और इनडोर वायु गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है

सीएलएएसपी के वरिष्ठ निदेशक श्री बिशाल थापा ने स्मरण किया कि आज हम विश्व पर्यावरण दिवस की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और यह निर्णायक और परिवर्तनकारी कार्रवाई का समय है। ई-कुकिंग के लिए परिवर्तन उस अवसर का प्रतिनिधित्व करता है। यह देखते हुए कि प्रधानमंत्री की मिशन लाइफ की अभिव्यक्ति साहसिक और दूरदर्शी है, उन्होंने कहा कि ई-कुकिंग में परिवर्तन एक स्वच्छ, हरित और पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को सक्षम बनाएगा। ई-कुकिंग की क्षमता ग्रामीण क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है। यह शहरी क्षेत्रों में भी घरों और वाणिज्यिक क्षेत्रों के लिए बहुत प्रासंगिक है। ई-कुकिंग में परिवर्तन ऊर्जा आयात को कम करने और हमारी आपूर्ति बाधाओं को कम करने में सहायता कर सकता है। कुल मिलाकर यह परिवर्तन जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकता है और घरों में वायु गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकता है।

सीएलएएसपी के वरिष्ठ निदेशक ने कहा कि कुकिंग परिवर्तन के लिए अब अधिक उपभोक्ता जागरूकता, उपभोक्ता की पसंद को प्रोत्साहित करने और अतिरिक्त आपूर्ति की आवश्यकता है। इस ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए अब नई साझेदारी की आवश्यकता है।

प्रतिभागियों ने हर तरह से पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाने और साथी नागरिकों के बीच इसे बढ़ावा देने के लिए मिशन लाइफ के बारे में शपथ ली।

सचिव, बीईई मिलिंद देवरे ने उद्घाटन सत्र के समापन पर धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

मिशन लाइफ के लिए ई-कुकिंग कुंजी है

इलेक्ट्रिक कुकिंग पर ध्यान देना इस मान्यता पर आधारित है कि ई-कुकिंग मिशन लाइफ (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) की एक प्रमुख कुंजी है, जो पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए भारत के नेतृत्व वाला वैश्विक जन आंदोलन है। वर्ष 2021 में ग्लासगो में आयोजित पार्टियों के 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लॉन्च किए गए मिशन लाइफ में ऐसी जनता को ग्रह-समर्थक जनता में बदलने की चाहत है, जो स्थायी जीवन शैली अपनाएगी।

खाना पकाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच भारत की ऊर्जा परिवर्तन यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। खाना पकाने के ईंधन के संबंध में हम जो विकल्प चुनते हैं, उनका एक स्थायी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ने की भारत के गति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। भारत के स्वच्छ खाना पकाने के परिवर्तन के लिए उन व्यक्तिगत और सामुदायिक कार्यों और निर्णयों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है जो ऊर्जा की खपत को बढ़ाते हैं।

ई-कुकिंग समाधानों को अपनाने के लिए समर्थक और दृष्टिकोण अपनाने के बारे में विचार-विमर्श के लिए सम्मेलन

ई-कुकिंग परिवर्तन के लिए उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण पर एक दिवसीय सम्मेलन ई-कुकिंग समाधानों जैसे वित्त, मांग एकत्रीकरण, कार्बन क्रेडिट और व्यवसाय मॉडलों को अपनाने के लिए समर्थकों का पता लगाया जाएगा।

इस सम्मेलन में ई-कुकिंग परिवर्तन के लिए उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण और व्यवहार पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

इस सम्मेलन में ‘ई-कुकिंग मार्केट ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्राम’ पर एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड द्वारा एक प्रस्तुति दी जाएगी, इसके अलावा ई-कुकिंग को बढ़ावा देने के लिए की गई पहल के बारे में बीईई द्वारा भी अपनी प्रस्तुति दी जाएगी।

यह भी पढ़ें: इलेक्ट्रिक कुकिंग के लिए भारत में तेजी से हो रहा परिवर्तन: ई-कुकिंग परिवर्तन के लिए उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोणों का पता लगाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित होने वाला सम्मेलन।

Latest News

कोयला आयात की हिस्सेदारी में कमी कोयला आयात की हिस्सेदारी में कमी
नई दिल्ली-देश के कुल कोयला खपत में कोयला आयात की हिस्सेदारी में कमी दर्ज की गयी है। अप्रैल 2023 से...
भारत राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त कर लेता है, तो यह देश को वैश्विक हाइड्रोजन विकास में सबसे आगे रखेगा": आईपीएचई के उपाध्यक्ष
भारत की तितलियों और पतंगों पर एक एक सचित्र मार्गदर्शिका
नीली अर्थव्यवस्था पर अंतर-मंत्रालयी संयुक्त कार्यशाला का आयोजन
भारतीय आईपीआर के सृजन को बढ़ावा देने के लिए 5जी और 6जी से परे त्वरित अनुसंधान के लिए रोडमैप प्रस्तुत
जनवरी 2024 के दौरान देश में खनिज उत्पादन 5.9 प्रतिशत बढ़ा
हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए बिजनेस मॉडल, विनियम और बुनियादी ढांचे के बारे में विचार-विमर्श
परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर जागरूकता बढ़ाने के लिए समझौता
ग्रिड-इंडिया ने मिनीरत्न कंपनी का दर्जा प्राप्‍त किया
सैन्‍य अभ्‍यास ‘टाइगर ट्राइंफ़ –24’