कोयला उत्पादन में 16 प्रतिशत की वृद्धि

कोयला उत्पादन में 16 प्रतिशत की वृद्धि

नई दिल्ली-कोयला मंत्रालय ने सितंबर 2023 के दौरान कुल कोयला उत्पादन में भारी बढ़ोतरी अर्जित की है और 67.21 मिलियन टन कोयले का उत्‍पादन हुआ है, जो पिछले वर्ष के इसी महीने में हुए 58.04 मिलियन टन के आंकड़े से अधिक है। इस प्रकार उत्‍पादन में 15.81 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का उत्पादन सितंबर 2023 के दौरान बढ़कर 51.44 मिलियन टन  हुआ, जो सितंबर 2022 में हुए 45.67 मिलियन टन उत्‍पादन की तुलना में कहीं अधिक है। इस प्रकार उत्‍पादन में 12.63 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। सितम्‍बर, 2023 तक कोयले का संचयी उत्पादन भारी वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2023-24 में (सितंबर 2023 तक) 428.25 मिलियन टन हुआ है, जो वित्त वर्ष 2022-23 की इसी अवधि के दौरान हुए 382.16 मिलियन टन उत्‍पादन की तुलना में 12.06 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

 

 

इसके अलावा, सितंबर 2023 में कोयले की ढुलाई में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई जो 70.33 मिलियन टन के स्‍तर पर पहुंची, जो सितंबर 2022 में दर्ज हुई 61.10 मिलियन टन की ढुलाई से 15.12 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाती है। इसी दौरान, कोल इंडिया लिमिटेड ने कोयले की ढुलाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और सितंबर 2023 में 55.06 मिलियन टन कोयले की ढुलाई की है, जो सितंबर 2022 में हुई 48.91 मिलियन टन की तुलना में 12.57 प्रतिशत  की वृद्धि को दर्शाती है। वित्त वर्ष 2023-24 में कोयले की संचयी ढुलाई (सितंबर 2023 तक) 462.32 मिलियन टन हुई है, जो उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाती है। वित्त वर्ष 2022-23 में इसी अवधि के दौरान 416.64 मिलियन टन कोयले की ढुलाई हुई थी। इस प्रकार कोयले की संचयी ढुलाई में 10.96 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

 

कोयला क्षेत्र में उत्पादन, ढुलाई और स्टॉक स्तरों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस असाधारण वृद्धि का श्रेय कोयला सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के अटूट समर्पण को दिया जाता है, जिसने इस असाधारण प्रगति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह कोयला आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता को रेखांकित करता है, जिससे देश भर में कोयले का बाधारहित वितरण सुनिश्चित हुआ है।

कोयला मंत्रालय लगातार कोयला उत्पादन और ढुलाई को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे देश के निरंतर विकास और समृद्धि में योगदान देने वाले विश्वसनीय और लचीले ऊर्जा क्षेत्र के लिए निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।

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