चकाड़ी ऐश डैम के तटबंध का नये तरीके से निर्माण
तटबंध टूटने पर खेतों में पहुंचती थी राख
सोनभद्र -ओबरा तापीय परियोजना के चकाड़ी ऐश डैम की क्षमता वृद्धि बढाने के साथ उसके तटबंधों के नवीनीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है । खासकर उसका पूर्वी छोर जो पिछले कई वर्षों से मानसून सत्र के दौरान क्षतिग्रस्त हो जाता है उसे अब नया रूप दिया जा रहा है ।पिछले तीन वर्षों के दौरान चकाड़ी ऐश डैम का तटबंध आधा दर्जन से ज्यादा बार क्षतिग्रस्त हो चुका है ।जिसके कारण ग्रामीणों के खेत में गीली राख पहुँचने से खेत बंजर होते जा रहे थे।सन् 1980 में परियोजना के राख निस्तारण के लिए बनी बन्धी का तटबन्ध बीते मानसून सत्र में भी जुलाई और सितम्बर में कई जगहों से टूट गया था।जिसके कारण भारी पैमाने पर राख ग्रामीणों के खेतों में पंहुच गयी थी।जिसको लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश पैदा हो गया था।ग्रामीणों ने इस दौरान कई बार मरम्मत कार्य रोक दिया था।परियोजना प्रशासन ने ग्रामीणों के व्यवधान को लेकर पुलिस में शिकायत करने के साथ जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगायी थी।जिसपर जिला प्रशासन ने एक कंपनी पीएसी मौके पर भेजी थी।तब जाकर तटबन्धों का अनुरक्षण हो पाया था।इस दौरान अनुरक्षण कार्य करा रहे अधिकारीयों और कर्मचारियों से ग्रामीणों द्वारा मारपीट की घटना भी सामने आई थी।ऐसे में अब परियोजना प्रशासन नये तकनीकि से तटबंध के निर्माण में जुटा हुआ है।
नये तरीके से बन रहा तटबंध
पिछले कई वर्ष से टूट रहे तटबंध को अब नये तरीके से बनाया जा रहा है।पहले समान्य तरीके से मिटटी का तटबंध था लेकिन अब उसमे बोल्डर और लोहे की जालियों का भी प्रयोग किया जा रहा है।नये तटबंध में कई सुरक्षित तकनीकि का प्रयोग किया जा रहा है।अधिशासी अभियंता राजीव कुमार ने बताया कि अब तटबंध को काफी मजबूत बनाया जा रहा है।बताया कि इस डैम की क्षमता बढाने के लिए इसे खाली करने पर भी काम किया जा रहा है।इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(एनएचआई) के साथ करार किया गया है।एनएचआई से करार में ऐश पांड में मौजूद गीली राख का राष्ट्रीय राजमार्ग की परियोजनाओं में प्रयोग होगा ।फिलाहल एनएच 56 एवं 233 के वाराणसी सेक्शन के अंतर्गत आने वाले हिस्सों के लिए फ्लाई ऐश की आपूर्ति की जाएगी ।बताया कि एनएचआई के करार को उत्पादन निगम प्रबन्धन से अनुमति मिलने के बाद इस डैम को खाली किया जा सकेगा।जिससे इसकी क्षमता में वृद्धि होगी।