आशा की किरण बनी सीमेंट कम्पनी
By संजय यादव
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सोनभद्र -तापीय परियोजनाओं के आसपास बढ़ रहे राख के ढेर ने कई समस्याएं बढ़ायी है।राख का अपेक्षित उपयोग नहीं बढ़ पाने के कारण केंद्रीय पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के कई कड़े मानक तापीय परियोजनाओं के लिए मुसीबत बन सकते हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद राख के उपयोग में ज्यादा सफलता नहीं मिल पा रही है। फिलहाल उपयोग बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयासों को कोरोना संक्रमण ने भी भारी झटका दिया है।
आशा की किरण बनी सीमेंट कम्पनी एसीसी लिमिटेड के मिर्जापुर मंडल में नया प्लांट लगाने की योजना में देरी होते दिख रही है। एसीसी द्वारा 4.4 मिलियन टन क्षमता का सीमेंट प्लांट स्थापित करने की योजना को धरातल नहीं मिल पा रहा है।इस प्रस्तावित सीमेंट प्लांट को ओबरा तापीय परियोजना से पहले चरण में प्रतिदिन ढाई हजार टन उत्सर्जित राख की आपूर्ति होनी है।जिसको लेकर एसीसी और ओबरा तापीय परियोजना के बीच अनुबंध हस्ताक्षर की प्रक्रिया पूरी की जानी है। जबकि एसीसी द्वारा अभिरुचि की अभिव्यक्ति के माध्यम से दिए गये प्रस्ताव पर निर्णय लेने हेतु सक्षम निविदा को अधिकृत करते हुए ओबरा तापीय परियोजना एवं एसीसी के मध्य उत्सर्जित राख के विक्रय हेतु अनुबंध हस्ताक्षरित किये जाने की अनुमति पिछले वर्ष ही दी गयी थी। उधर पिछले एक वर्ष के दौरान जहाँ कोरोना काल ने सीमेंट प्लांट स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में बाधा खड़ी की है वही वर्तमान में पुनः कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण प्रक्रिया में देरी की संभावना है।एसीसी प्लांट के ओबरा परियोजना से कम दूरी पर स्थापित होने पर इसे राख आपूर्ति में उत्पादन निगम को काफी सहूलियत होगी।
परिवहन खर्च बन रही समस्या
पर्यावरण मंत्रालय के नए मानकों के हिसाब से किसी भी कोयला आधारित बिजली घर से 300 किलोमीटर के दायरे में राष्ट्रीय राजमार्ग सहित अन्य योजनाओं की सडकों के निर्माण में राख परिवहन का खर्च बिजली घरों को देना है । जबकि पूर्व मानकों में यह दायरा 100 किलोमीटर ही था । पहले जहाँ बिजली घरों और सड़क निर्माण संस्था को आधा आधा परिवहन खर्च देना था,लेकिन नये मानकों ने बिजली घरों के सामने बड़ी आर्थिक समस्या पैदा कर दी है । वर्तमान में ईधन खर्च को देखते हुए फ्लाई ऐश का उपयोग बढाना काफी मुश्किल हो गया है । ओबरा परियोजना तथा राष्ट्रीय राजमार्ग एथारिटी के बीच हुआ पूर्व करार परिवहन खर्च के कारण स्थिर हालत में पहुँच गया है । पिछले तीन वर्षों से इस करार के बाद एनएच 56 एवं 233 के वाराणसी सेक्शन के अंतर्गत आने वाले हिस्सों के लिए फ्लाई ऐश की आपूर्ति की जानी थी।अब पूरा परिवहन खर्च करने के मानक के कारण उत्पादन निगम पेशोपेश में है,इसलिए उत्पादन निगम नजदीकी खरीदारों को खोजने में लगा हुआ है।
एसीसी द्वारा एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट के माध्यम से दिए गये प्रस्ताव पर प्रक्रिया चल रही है ।जल्द इस पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। राख का उपयोग बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।इसके अलावा एनएचएआई के साथ परिवहन खर्च को लेकर प्रक्रिया मुख्यालय स्तर पर विचाराधीन है ।
इ.राजीव कुमार,अधीक्षण अभियंता,ओबरा परियोजना
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