फ्लाई ऐश की ईट से पूरा हुआ ओबरा थाने का निर्माण
By संजय यादव
On
सोनभद्र -बहु प्रतीक्षित मॉडल ओबरा थाने का निर्माण पूरा हो गया है। केंद्रीय पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देश पर थाने का निर्माण फ्लाई ऐश से बनाये गयी ईटों से किया गया। निर्माणाधीन ओबरा सी परियोजना क्षेत्र की जद में आये ओबरा थाने के कारण नए थाने का निर्माण किया गया है। वर्तमान थाने के स्थान पर कोल यार्ड बनाया जाना है। आकाशवाणी ओबरा के पास ओबरा परियोजना द्वारा निर्मित ओबरा थाने का निर्माण इलाहाबाद हेड क्वार्टर से आए नक्शे के आधार पर किया गया है।
इसके तहत थाना परिसर में कुल 20 कमरे के साथ दो बड़े हाल,मेसरूम, कार्यालय, लाबी, वेटिंग रूम,कैंटीन, मालखाना,टॉयलेट आदि का निर्माण किया गया है। परिसर में ही थाना प्रभारी के आवास का भी निर्माण चल रहा है।फिलहाल नई बिल्डिंग की रंगाई पोताई चल रही है। हालाकि कोरोना संक्रमण का यहाँ भी असर देखने को मिल रहा है। थाने का निर्माण 31 मार्च तक पूरा करना था,लेकिन कोरोना के कारण 60 फीसद कम मजदूर काम पर आ रहे हैं।थाने का निर्माण कर रहे संविदाकार देवेंद्र महतो ने बताया कि एक सप्ताह के अंदर निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।
विदित हो कि नए ओबरा मॉडल थाने के निर्माण में पिछले चार वर्षों के दौरान कई पेंच फंसा।सबसे पहले वर्ष 2017 में साढ़े तीन करोड़ की लागत में थाने का निर्माण ओबरा पीजी कालेज परिसर में करने का निर्णय लिया गया।लेकिन कालेज के छात्रों के भारी विरोध के कारण 20 फरवरी 2018 को यह निर्णय वापस लेना पड़ा।उसके बाद पीजी कालेज के समक्ष स्थित भूमि पर इसे बनाने का प्रयास किया गया,लेकिन यहाँ भी विधुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के विरोध की वजह से थाने का निर्माण पुनः टल गया।उसके बाद सेक्टर आठ स्थित आकाशवाणी ग्राउंड में थाने के निर्माण का प्रयास किया गया लेकिन यहाँ भी भारी विरोध का सामना करना पड़ा। उसके बाद जून 2019 में तत्कालीन जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद आकाशवाणी केंद्र के बगल में थाने के निर्माण की योजना बनी।
फ्लाई ऐश के ज्यादा प्रयोग का है दबाब
तापीय परियोजनाओं में बढ़ते राख के ढेर को देखते हुए फ्लाई ऐश की उपयोगिता बढ़ाने का दबाब है। पर्यावरण मंत्रालय के आदेश के बाद फ्लाई ऐश का व्यापक तौर पर उपयोग बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। ओबरा सी में भी फ्लाई ऐश से बने ईट का ही प्रयोग हो रहा है। खपत बढ़ाने के लिए ही जिला प्रशासन को सीएसआर योजना के अंतर्गत 2 नग फ्लाई ऐश आधारित ईट बनाने की मशीन प्रदान की गई थी । जिसमें प्रत्येक मशीन की क्षमता 1600 ईट प्रति घंटा निर्माण करने की है । ईटों के निर्माण में 60 से 70 फीसद फ्लाई ऐश का प्रयोग होता है जो पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है ।
Related Posts
Latest News
30 Jun 2025 23:44:01
भारत की अग्रणी अक्षय ऊर्जा कंपनी अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए अपनी कुल...