हरित हाइड्रोजन के उपयोग के माध्यम से डीकार्बोनाइजेशन के लिए राष्ट्रीय रोडमैप
नई दिल्ली-केंद्रीय विद्युत् और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, आर.के. सिंह ने आज, 25 जनवरी, 2024 को अटल अक्षय ऊर्जा भवन, नई दिल्ली में परिवहन क्षेत्र से सरकार और उद्योग हितधारकों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के दायरे में आने वाले परिवहन क्षेत्र में पायलट परियोजनाएँ। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारी और हाइड्रोजन वितरण संस्थाओं, भंडारण और परिवहन एजेंसियों, घटक निर्माताओं, परीक्षण एजेंसियों और मानक बनाने वाले निकायों सहित परिवहन क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने इस बैठक में भाग लिया।
हितधारकों को संबोधित करते हुए, केंद्रीय विद्युत् और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने ऊर्जा परिवर्तन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता और उत्सर्जन की तीव्रता को कम करने के लिए भारत की राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशंस- एनडीसीएस) प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने एनडीसी लक्ष्यों को प्राप्त करने में परिवहन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और ट्रकों एवं बसों जैसे भारी- कार्यों (हेवी-ड्यूटी) के गतिशीलता अनुप्रयोगों में उस हरित (ग्रीन) हाइड्रोजन की क्षमता को रेखांकित किया, जो ईंधन सेल और आंतरिक दहन इंजन प्रौद्योगिकियों दोनों में प्रयुक्त किए जाते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि परिवहन क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन की क्षमता की पहचान के लिए परीक्षणों की एक ठोस श्रृंखला होनी चाहिए, ताकि हरित हाइड्रोजन के उपयोग के माध्यम से क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के लिए एक राष्ट्रीय रोडमैप तैयार किया जा सके। उन्होंने पायलट परियोजनाओं में हरित (ग्रीन हाइड्रोजन) के उपयोग का समर्थन किया और विशेष रूप से भारी-कार्य अनुप्रयोगों में हाइड्रोजन-संचालित वाहनों और बैटरी-इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच प्रौद्योगिकी और लागत की व्यापक तुलना करने का आग्रह किया। अच्छी तरह से सूचित निर्णयों के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने परिवहन क्षेत्र के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप विकसित करने का आग्रह किया और कहा कि इस रोडमैप में पायलट परियोजनाओं, तकनीकी प्रगति और स्थानीय विनिर्माण और स्केलिंग प्रक्रियाओं के माध्यम से लागत में कमी की संभावना का विवरण शामिल होना चाहिए।
मंत्री महोदय ने परिवहन क्षेत्र में हाइड्रोजन को एकीकृत करने के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास पर बल दिया । एच2 आईसीई (आंतरिक दहन इंजन- इन्टरनल कम्बस्चन इंजिन) युक्त ट्रकों और एच2 ईंधन सेल बसों सहित हाइड्रोजन-संचालित वाहनों के चल रहे परीक्षणों पर चर्चा की गई, जिसमें पायलट परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए प्रभावी ढंग से धन जुटाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
उद्योग प्रतिनिधियों ने हरित हाइड्रोजन, ईंधन सेल और हाइड्रोजन भंडारण सिलेंडरों की उच्च लागत से संबंधित चुनौतियों के बारे में चिंता व्यक्त की। केंद्रीय मंत्री ने उद्योग को आश्वासन दिया कि स्वदेशी विनिर्माण के विकास और विस्तार में प्रगति के साथ लागत में स्वाभाविक रूप से कमी आएगी। प्रतिभागियों ने कारों, 3-पहिया और 2- पहिया वाहनों में हाइड्रोजन के उपयोग पर भी चर्चा की।
विद्युत् और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने बाजार विकास और इससे भी आगे विकास की आवश्यकता वाले क्षेत्रों की पहचान के लिए ठोस प्रयास करने का आग्रह किया। श्री सिंह ने पुष्टि की कि, यदि आवश्यक हुआ, तो सरकार राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत परिवहन क्षेत्र के लिए 496 करोड़ रुपये पहले से निर्धारित 496 करोड़ रुपये से अधिक अतिरिक्त धनराशि आवंटित करने के लिए तैयार रहेगी ।
बैठक भारत के एनडीसी लक्ष्यों के अनुरूप, हाइड्रोजन-संचालित वाहनों को आगे बढ़ाने और परिवहन क्षेत्र में टिकाऊ समाधानों को बढ़ावा देने की साझा प्रतिबद्धता के साथ संपन्न हुई।