भारतीय वैज्ञानिकों ने नैनो तकनीक से बनाई रंग बदलने वाली सामग्री

वैज्ञानिकों ने नैनोस्केल ज्यामिति से बनाई चमत्कारी सामग्री

“रिएक्टिव आयन एचिंग”

अब मोर और तितलियों के पंखों जैसा चमकदार और कोण-परिवर्तनशील रंग सिर्फ प्रकृति तक सीमित नहीं रहेगा — भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसा रंग नैनो तकनीक के जरिए प्रयोगशाला में तैयार कर दिखाया है।

बेंगलुरु स्थित नैनो और मृदु पदार्थ विज्ञान केंद्र (CeNS) के वैज्ञानिकों ने पॉलीस्टाइरीन नामक सूक्ष्म प्लास्टिक गोले का उपयोग कर एक ऐसी सामग्री तैयार की है, जिसका रंग देखने के कोण के अनुसार बदलता है — ठीक वैसे ही जैसे मोर के पंख नीले और हरे के बीच झिलमिलाते हैं।

ऐसे काम करता है यह चमत्कार

इस तकनीक की खास बात यह है कि इसमें कोई पेंट या रसायन नहीं, बल्कि सिर्फ सतह की सूक्ष्म ज्यामिति (नैनोस्केल संरचना) होती है जो प्रकाश के साथ खेलकर रंग उत्पन्न करती है। ये गोले इतने छोटे होते हैं कि एक रेत के दाने से भी 1,000 गुना छोटे होते हैं।

वैज्ञानिकों ने इन नैनो गोले को पानी की सतह पर तैराकर स्वतः व्यवस्थित पैटर्न में रखा। इसके बाद “रिएक्टिव आयन एचिंग” तकनीक से उनमें सूक्ष्म बदलाव किए। परिणामस्वरूप, जब प्रकाश इस सतह से टकराता है तो वह अलग-अलग रंगों में परावर्तित होता है — और वो रंग बदलता रहता है।

image001ZIXB (1)
चित्र: (ए) एडब्ल्यू इंटरफ़ेस पर स्व-संयोजित पीएस गोले (d ini = 401 nm) के एक मोनोलेयर द्वारा प्रदर्शित संरचनात्मक रंग एक षट्कोणीय रूप से व्यवस्थित क्लोज-पैक्ड (सीपी) अवस्था में। (बी) सीपी अवस्था में पीएस मोनोलेयर की फील्ड एमिशन स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप छवि, इनसेट छवि का एफएफटी दिखाता है। (सीएच) स्व-संयोजित पीएस गोले द्वारा विभिन्न झुकाव कोणों के लिए प्रदर्शित संरचनात्मक रंग। स्केल बार 0.5 सेमी (सीएच) दर्शाता है।

 

महत्वपूर्ण है यह खोज 

रंग कभी फीका नहीं होगा: पारंपरिक पेंट की तरह यह रंग समय के साथ नहीं उड़ेगा। कृत्रिम रंगों की जरूरत नहीं: कोई केमिकल, पिगमेंट या टॉक्सिक पदार्थ नहीं। अनुप्रयोगों की भरमार: पहनने योग्य सेंसर, नकली वस्तुओं की पहचान, स्मार्ट टैग, डिस्प्ले टेक्नोलॉजी, और यहां तक कि इको-फ्रेंडली पेंट के लिए इसका उपयोग हो सकता है।कम लागत, बड़ी संभावना: यह तकनीक “बॉटम-अप” मॉडल पर आधारित है, यानी प्रकृति की मदद से सस्ती और स्केलेबल तकनीक विकसित की गई है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

यह शोध Journal of Applied Physics में प्रकाशित हुआ है और यह दिखाता है कि कोण के अनुसार बदलने वाले ऑप्टिकल गुण अब प्रयोगशाला में सटीकता से डिजाइन किए जा सकते हैं।

Latest News

जेब में फिट होने वाला नया सेंसर बताएगा हवा में ज़हर है या नहीं! जेब में फिट होने वाला नया सेंसर बताएगा हवा में ज़हर है या नहीं!
अब जहरीली हवा की पहचान के लिए किसी भारी-भरकम मशीन की जरूरत नहीं — वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया, छोटा...
भारतीय वैज्ञानिकों ने नैनो तकनीक से बनाई रंग बदलने वाली सामग्री
अब पेंट नहीं, रोशनी से बदलेंगे रंग,भारतीय वैज्ञानिकों की अनोखी खोज
सरकार के विज्ञापन से भड़के बिजली कर्मी
उत्तर प्रदेश में 1500 MWh बैटरी ऊर्जा भंडारण परियोजना के लिए SJVN की नीलामी सफल
बिजली क्षेत्र के सरकारी विज्ञापन ने नई बहस को दिया जन्म
सुरक्षित, स्मार्ट और टिकाऊ गलियारों के लिए राष्ट्रीय नवाचार अभियान की शुरुआत - अजय टम्टा
खनन में हरित भविष्य की दिशा में भारत
टाटा पावर की FY26 Q1 में रिकॉर्ड 45,589 रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन
अदानी ग्रीन ने रचा इतिहास, अक्षय ऊर्जा क्षमता 15,539 MW के पार