जेब में फिट होने वाला नया सेंसर बताएगा हवा में ज़हर है या नहीं!

जेब में फिट होने वाला नया सेंसर बताएगा हवा में ज़हर है या नहीं!
चित्र: ए) सुरक्षित स्थिति, बी) चेतावनी स्थिति, और सी) खतरे की स्थिति में थ्रेशोल्ड-ट्रिगर सेंसर प्रतिक्रिया।

अब जहरीली हवा की पहचान के लिए किसी भारी-भरकम मशीन की जरूरत नहीं — वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया, छोटा और सस्ता सेंसर बनाया है जो सांस लेने से पहले ही हवा में छिपे सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) जैसे खतरनाक गैस का रीयल-टाइम में पता लगा सकता है।

सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) एक बेहद जहरीली गैस है जो वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलती है। इसका संपर्क अस्थमा, सांस की जलन और फेफड़ों की बीमारी तक का कारण बन सकता है। लेकिन अभी तक मौजूद गैस डिटेक्टर या तो महंगे हैं या बेहद सूक्ष्म स्तर पर गैस को पकड़ने में सक्षम नहीं।

ऐसे बना यह स्मार्ट सेंसर

बेंगलुरु स्थित नैनो एवं मृदु पदार्थ विज्ञान केंद्र (CeNS) के वैज्ञानिकों ने निकेल ऑक्साइड (NiO) और नियोडिमियम निकेल (NdNiO₃) जैसी दो धातुओं को मिलाकर एक ऐसा सेंसर बनाया है जो 320 पीपीबी जितनी कम मात्रा में भी SO₂ की पहचान कर सकता है — यह क्षमता अधिकांश मौजूदा सेंसर से कई गुना बेहतर है।

इसमें NiO रिसेप्टर की तरह काम करता है। NdNiO₃ सिग्नल भेजने वाले ट्रांसड्यूसर की भूमिका निभाता है। 

प्रोटोटाइप: आसान और समझदार

वैज्ञानिकों की टीम ने इसका एक छोटा प्रोटोटाइप भी बनाया है जिसे कहीं भी ले जाया जा सकता है। इस डिवाइस में तीन रंगों का अलर्ट सिस्टम है:

हरा: सुरक्षित

पीला: चेतावनी

लाल: खतरा

यानी कोई भी व्यक्ति बिना वैज्ञानिक जानकारी के भी सेंसर की चेतावनी को समझ सकता है।

यहाँ होगा उपयोग

उद्योगों में जहां गैस रिसाव का खतरा होता है। शहरी क्षेत्रों में, खासतौर पर ट्रैफिक वाले इलाकों में एवं बंद जगहों जैसे कारखाने, स्टोररूम या निर्माण स्थल। 

सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए वरदान

यह तकनीक न केवल कम लागत और पोर्टेबिलिटी में बेहतरीन है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा कदम है।इस डिवाइस को श्री विष्णु जी नाथ ने डिजाइन किया है और टीम में डॉ. शालिनी तोमर, डॉ. सफीर नादुविल, डॉ. नीना जॉन, डॉ. सतदीप भट्टाचार्य सहित कई शोधकर्ताओं ने योगदान दिया है। यह शोध प्रसिद्ध "स्मॉल" जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

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