ग्रांट थॉर्टन को अमेरिका में सज़ा, यूपी में सम्मान! CBI जांच की मांग

यूपी बिजली निजीकरण पर उठे सवाल

Grant Thornton Bharat LLP

उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण प्रक्रिया में ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन की नियुक्ति खुद में बड़ा सवाल बन चुकी है। इस फर्म पर हितों के टकराव, झूठा शपथ पत्र देने, और अमेरिका में आर्थिक दंड (पेनल्टी) झेलने जैसे गंभीर आरोप सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं। इसके बावजूद, इस फर्म को हटाने के बजाय पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने उसी से निजीकरण से जुड़ी आरएफपी (RFP) जैसी महत्वपूर्ण दस्तावेजी प्रक्रिया तैयार करवाई यह सीधे-सीधे पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों का उल्लंघन माना जा रहा है, जिससे भ्रष्टाचार की आशंका और गहरा जाती है।
विधुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का दावा है कि यह सिर्फ एक कॉर्पोरेट नियुक्ति नहीं, बल्कि लोकहित और राष्ट्रीय सुरक्षा की खुली अनदेखी है।संघर्ष समिति ने इस गंभीर विषय पर सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा है कि अब समय गया है जब जवाबदेही सिर्फ कागज़ पर नहीं, जांच की मेज़ पर तय होनी चाहिए

ग्रांट थॉर्टन के बारे में 

ग्रांट थॉर्टन (Grant Thornton) दुनिया की एक प्रमुख पेशेवर सेवा (Professional Services) प्रदान करने वाली फर्म है, जो मुख्यतः ऑडिटिंग, टैक्सेशन, एडवाइजरी और कंसल्टेंसी सेवाएं देती है। यह संस्था 130 से अधिक देशों में कार्यरत है और इसकी गिनती "Big 10" अकाउंटिंग फर्मों में होती है। 

अंतरराष्ट्रीय विवादों की पृष्ठभूमि-ग्रांट थॉर्टन का रिकॉर्ड

दुनिया भर की तमाम मिडिया रिपोर्ट इस अंतर्राष्ट्रीय फर्म के अनैतिक कर्मो से भरी पड़ी है। 

एसईसी द्वारा जुर्माना (2004)
यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने MCA Financial Corporation के ऑडिट के दौरान पारदर्शिता में कमी पाई। इसके परिणामस्वरूप ग्रांट थॉर्टन को $1.5 मिलियन का जुर्माना और ₹59,749.41 का अतिरिक्त अनुदान लौटाने का आदेश दिया गया chicagobusiness.com, sec.gov, cfo.com,

OCC का सिविल पेनल्टी (2006)
यूएस “Office of the Comptroller of the Currency” ने Keystone बैंक के 1998 के ऑडिट में गंभीर चूक पाए। परिणामस्वरूप ग्रांट थॉर्टन को $300,000 का जुर्माना और ऑडिट रोके जाने का आदेश जारी किया गया occ.treas.gov

PCAOB का जुर्माना (2017)
पब्लिक कंपनी अकाउंटिंग ओवरसाइट बोर्ड ने वित्तीय सेवाओं की ऑडिट में गुणवत्ता नियंत्रण की विफलता पाई। ग्रांट थॉर्टन को $1.5 मिलियन का जुर्माना और एक गंभीर चेतावनी दी गई en.wikipedia.org, pcaobus.org, goingconcern.com

यूके एफआरसी नोटिस (2018–2021)
यूके के Financial Reporting Council ने Nichols plc, Patisserie Valerie, Interserve, और अन्य कंपनियों में आरोपी पाया। Patisserie Valerie घोटाले में £3–4 मिलियन का जुर्माना और कई ऑडिट कार्यों में गुणवत्ता में गिरावट आई cfo.com, reddit.com, occ.treas.gov, en.wikipedia.org

ऑस्ट्रेलिया में भ्रष्टाचार की जांच (2022)
Western Australia
की Corruption and Crime Commission ने पाया कि ग्रांट थॉर्टन ऑस्ट्रेलिया में वरिष्ठ नौकरशाहों को रिश्वत देकर सरकारी ठेके लाभ लेने में शामिल रहा en.wikipedia.org

कॉरपोरेटपरस्त शासन ढांचा?

इन निरंतर आरोपों और कानूनी दंडों वाली फर्म को उत्तर प्रदेश जैसी संवेदनशील बिजली प्रणाली में ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करना खासकर तब जब उस पर हितों के टकराव और झूठे शपथपत्र जैसे आरोप हैं,यह दर्शाता है कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता, नागरिक हित और राष्ट्रीय सुरक्षा कैसे आदिम स्तर पर प्रभावित हो सकते हैं।  

नियुक्ति में पारदर्शिता की अनदेखी?

ग्रांट थॉर्टन की नियुक्ति विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के लिए एकट्रांजैक्शन कंसल्टेंटके रूप में की गई।लेकिन इस फर्म पर पहले से अमेरिका में आर्थिक अनियमितताओं और पेनल्टी लगाए जाने के तथ्य मौजूद हैं।इसके अतिरिक्त, फर्म ने भारत में आवेदन करते समय गलत शपथ पत्र (False Affidavit) भी दिया एक ऐसा कृत्य जो कानूनी प्रक्रिया में गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। 

हितों के टकराव का खुला मामला

रिपोर्ट के अनुसार, फर्म की भूमिका पूरी तरह से एकतरफा और पक्षपातपूर्ण रही यह वही फर्म है जिसने निजीकरण के पक्ष में RFP (Request for Proposal) दस्तावेज तैयार किया।गौरतलब है कि RFP वही दस्तावेज होता है जिसके आधार पर पूरी निजीकरण प्रक्रिया और शर्तें निर्धारित होती हैं ऐसे में सवाल उठता है: क्या इस प्रक्रिया में निष्पक्षता थी? संघर्ष समिति का आरोप है कि फर्म ने सीधे पॉवर कारपोरेशन के निदेशक वित्त के कक्ष में बैठकर दस्तावेज तैयार किए, जिससे हितों के टकराव और मिलीभगत की पुष्टि होती है।

Grant_Thornton_logo

 

अंतरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि पर सवाल

ग्रांट थॉर्टन का नाम अमेरिका में भी कई बार कानूनी मामलों में सामने आया है जहाँ उस पर वित्तीय पारदर्शिता के उल्लंघन और पेनल्टी जैसी कार्रवाइयाँ हुई हैं।इसके बावजूद, उत्तर प्रदेश जैसे संवेदनशील राज्य में इस कंपनी को विद्युत जैसी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी सेवा में शामिल करना  केवल लापरवाही है, बल्कि संदेहास्पद भी।

 नियुक्ति रद्द क्यों नहीं हुई?

जब ऐसे स्पष्ट दस्तावेज़ीय प्रमाण और अंतरराष्ट्रीय दंड उपलब्ध थे, तब पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने इसे हटाने की जगह प्रोत्साहित क्यों किया? इसके बजाय इस फर्म से ही निजीकरण के सभी दस्तावेज तैयार कराना, क्या यह साबित नहीं करता कि पूरी प्रक्रिया में गहरा गठजोड़ और पारदर्शिता की पूर्ण कमी थी? 

संघर्ष समिति की मांग

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और उससे जुड़े संगठनों ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि ग्रांट थॉर्टन की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया की स्वतंत्र जांच करवाई जाए। झूठे शपथ पत्र और पेनल्टी जैसे मामलों के आधार पर इस फर्म को तत्काल ब्लैकलिस्ट किया जाए।अब तक जो दस्तावेज़ इस फर्म द्वारा बनाए गए हैं, उन्हें सार्वजनिक किया जाए और उनकी वैधता की समीक्षा होपूरी प्रक्रिया को सीबीआई के माध्यम से जांच के दायरे में लाया जाए, जिससे सच्चाई सामने सके।

 उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया अब केवल आर्थिक नहीं, बल्कि नीतिगत पारदर्शिता, जवाबदेही और जनहित के गंभीर सवालों से जुड़ गई है ग्रांट थॉर्टन की संदिग्ध भूमिका इस पूरे प्रकरण का सबसे संवेदनशील और खतरनाक पक्ष बनकर उभर रही है। यदि समय रहते इसकी जांच और कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला देशभर में एक नजीर बन सकता है कि किस प्रकार बहुराष्ट्रीय कॉर्पोरेट हित, जनसेवा के क्षेत्र में हावी हो जाते हैं।

 

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