लाभ में होने के बावजूद पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की कोशिशें तेज

नियामक आयोग में उठेगा मुद्दा

संघर्ष समिति के पदाधिकारि

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने गुरुवार को आरोप लगाया कि सरकार और पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन जानबूझकर झूठे आंकड़े गढ़कर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को घाटे में दिखा रहे हैं, ताकि निजीकरण को जायज ठहराया जा सके। संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि शुक्रवार 11 जुलाई को वाराणसी में नियामक आयोग की टैरिफ सुनवाई के दौरान निजीकरण का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाएगा और इस प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की जाएगी।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि निगम ने वर्ष 2024-25 में कुल 20564 करोड़ रुपये के खर्च का दावा किया है जबकि उपभोक्ताओं से वसूले गए राजस्व और सरकारी विभागों के बकाए को जोड़कर कुल आय 23806 करोड़ रुपये बैठती है। इस तरह निगम को 3242 करोड़ रुपये का मुनाफा हो रहा है। इसके बावजूद घाटा दिखाकर निजीकरण की पटकथा तैयार की गई है।

संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण की संभावनाओं को देखते हुए ही टैरिफ में 45 प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेजा गया है। इसका मकसद बिजली दरें बढ़ाकर निजी कंपनियों को भविष्य में अधिक लाभ पहुंचाना है। समिति के अनुसार, निगम में किसानों, बुनकरों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं को दी जा रही 6327 करोड़ रुपये की सब्सिडी निजीकरण के बाद खत्म होने की पूरी आशंका है।

आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2024-25 में निजी नलकूपों के लिए 376 करोड़, बुनकरों के लिए 630 करोड़ और अन्य उपभोक्ता श्रेणियों के लिए 5321 करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान है। समिति ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कैश फंडिंग के नाम पर प्रबंधन इस सब्सिडी को घाटे में दिखा रहा है।

संघर्ष समिति ने यह भी आरोप लगाया कि निजीकरण थोपने के लिए भय का वातावरण बनाया जा रहा है। हजारों बिजली कर्मचारियों का वेतन रोका गया है, बड़ी संख्या में कर्मियों का दूरदराज के जिलों में तबादला किया गया है और चेतावनी पत्र भेजकर उत्पीड़न किया जा रहा है। इसके अलावा, छह केंद्रीय पदाधिकारियों पर स्टेट विजिलेंस से फर्जी आय की जांच कराई जा रही है। तीन पर पहले से एफआईआर दर्ज की जा चुकी है और तीन अन्य पर एफआईआर की तैयारी की जा रही है।

संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल वितरण निगम का निजीकरण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कर्मचारियों का संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक निजीकरण की साजिश को पूरी तरह वापस नहीं लिया जाता।

बिजली कर्मियों ने लगातार 225वें दिन राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया। गुरुवार को वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा समेत विभिन्न स्थानों पर विरोध सभाएं आयोजित हुईं।

संघर्ष समिति ने आम जनता और उपभोक्ताओं से अपील की कि बिजली के निजीकरण से होने वाली महंगी दरों, सब्सिडी की समाप्ति और श्रमिक उत्पीड़न के खिलाफ इस आंदोलन का समर्थन करें। समिति ने चेतावनी दी कि मुनाफे में चल रहे निगम को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा हमला है और प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका घातक असर होगा।

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