गुजरात का सरकारी DISCOM मॉडल बना मिसाल
सरकारी सेक्टर ही बिजली वितरण की असली रीढ़
देशभर में जब बिजली वितरण के निजीकरण को लेकर बहस तेज़ हो रही है, ऐसे समय में गुजरात का DISCOM मॉडल यह साबित कर रहा है कि यदि पारदर्शिता, तकनीकी दक्षता और प्रशासनिक इच्छाशक्ति हो, तो सरकारी कंपनियाँ भी निजी क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं। गुजरात की चारों बिजली वितरण कंपनियाँ DGVCL (दक्षिण गुजरात), UGVCL (उत्तर गुजरात), PGVCL (पश्चिम गुजरात) एवं MGVCL (मध्य गुजरात) पूरी तरह राज्य सरकार के स्वामित्व में होते हुए भी आज देश की सबसे लाभदायक और विश्वसनीय वितरण इकाइयों में गिनी जाती हैं।
इन सरकारी DISCOMs ने 2022–23 में ये हासिल किया
वित्तीय वर्ष 2022–23 में गुजरात की इन चारों सरकारी कंपनियों ने कुल ₹4,953 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया है। वहीं, AT&C लॉस (कुल तकनीकी और वाणिज्यिक हानि) का स्तर राष्ट्रीय औसत से कहीं नीचे है। DGVCL में तो यह दर केवल 1.31% रही, जो देश में सबसे कम मानी जा रही है। जबकि देश के कई अन्य राज्यों की निजी और सरकारी वितरण कंपनियाँ अब भी 20% से अधिक AT&C लॉस से जूझ रही हैं।
मापदंड | प्रदर्शन |
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कुल लाभ | ₹4,953 करोड़ (चारों कंपनियाँ मिलाकर) |
औसत AT&C लॉस | <10.65% (DGVCL में मात्र 1.31%) |
बिलिंग दक्षता | >98% |
वसूली दर | ~99% |
ग्राहक संतुष्टि रेटिंग | सबसे अधिक (CSAI रिपोर्ट, 2023) |
गुजरात DISCOM मॉडल की खासियत
इन कंपनियों ने न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण उपभोक्ताओं को भी गुणवत्ता वाली बिजली उपलब्ध कराने में सफलता पाई है। PGVCL जैसी कंपनी, जो ज़्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों को बिजली देती है, वहाँ भी AT&C लॉस को 18.3% तक सीमित कर लिया गया है। यह दर्शाता है कि सरकारी कंपनियाँ अगर सही दिशा में चलाई जाएँ, तो गाँव-गाँव तक रोशनी पहुँचा सकती हैं।
गुजरात की सफलता की एक बड़ी वजह यह है कि वहाँ की वितरण कंपनियों को परिचालन और निर्णय की स्वतंत्रता दी गई है। हर कंपनी के पास अपना स्वतंत्र प्रबंधन, बजट योजना और तकनीकी सुधार की स्वतंत्रता है। KPI (Key Performance Indicators) आधारित निगरानी, SLA (समयबद्ध निपटान की गारंटी) आधारित उपभोक्ता सेवा, और स्मार्ट मीटरिंग जैसे कदमों ने इन कंपनियों को पारदर्शी और जवाबदेह बनाया है।
गुजरात के DISCOM मॉडल में यह भी खास है कि यहाँ राज्य सरकार योजनाओं को सब्सिडी के जरिए समर्थन देती है, लेकिन कंपनियों की कार्यक्षमता में हस्तक्षेप नहीं करती। इस कारण न केवल बिजली चोरी पर सख्ती से नियंत्रण संभव हुआ, बल्कि बिलिंग और वसूली की दक्षता भी 98% से ऊपर पहुँच गई है। डिजिटल बिलिंग और उपभोक्ता संवाद के आधुनिक तरीकों ने उपभोक्ता संतुष्टि में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है।
लाभ और वित्तीय सुधार
2015–16 से 2022–23 के बीच मुनाफे में 10 गुना वृद्धि ने गुजरात के सरकारी DISCOMs की मजबूती को दर्शाया है।
DGVCL: ₹394 करोड़ से ₹546 करोड़
UGVCL: ₹156 करोड़ से ₹272 करोड़
MGVCL: ₹244 करोड़ से ₹418 करोड़
PGVCL: ₹297 करोड़ घाटा से ₹300 करोड़ घाटा (क्योंकि यह कंपनी ग्रामीण आधार पर काम करती है)
AT&C लॉस – तकनीकी व व्यावसायिक हानि में उल्लेखनीय सुधार
Aggregate Technical & Commercial Loss (AT&C Loss) में गुजरात की कंपनियों ने जबरदस्त सुधार दिखाया है।
DGVCL: मात्र 1.31% (2023–24 में देश में सबसे न्यूनतम)
MGVCL: लगभग 9.3%
UGVCL: लगभग 9.35%
PGVCL: ग्रामीण क्षेत्र होने से 18.3% तक
राष्ट्रीय औसत AT&C लॉस (राज्य + निजी मिलाकर) 16.12% था, जबकि DGVCL जैसे सार्वजनिक DISCOM ने इसे महज 1.31% पर सीमित रखा।
ऑपरेशनल दक्षता – बिलिंग और कलेक्शन
बिलिंग दक्षता में DGVCL ने 98.69% दर्ज कर कमाल किया। कलेक्शन दक्षता 2023–24 में 100% तक पहुँच गई, जिसमें DGVCL व कई अन्य कंपनियाँ शामिल रहीं। राज्य के उपभोक्ताओं को डिजिटल बिलिंग, ऑनलाइन भुगतान, और व्हाट्सएप या चैटबोट रिमाइंडर जैसे आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई गईं ।
रेटिंग एवं प्रतिस्पर्धात्मक रैंकिंग
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की 13वीं वार्षिक रेटिंग में DISCOM कंपनियों का आकलन हुआ।
DGVCL: सार्वजनिक क्षेत्र में शिखर (#1) तथा समग्र में दूसरा स्थान, A+ ग्रेड के साथ। अन्य में MGVCL, UGVCL, PGVCL – सभी A+ ग्रेड, टॉप 10 में शामिल।
सरकारी DISCOM निजी से बेहतर साबित हुए
जब दिल्ली, मुंबई या अन्य राज्यों में निजी कंपनियाँ भी सब्सिडी और राहत पैकेज की मोहताज हैं, गुजरात की सरकारी कंपनियाँ बिना किसी अतिरिक्त राहत के आत्मनिर्भर बनी हुई हैं। यही कारण है कि नीति आयोग और ऊर्जा मंत्रालय तक ने गुजरात मॉडल को ‘आदर्श वितरण प्रणाली’ माना है।
मापदंड | गुजरात DISCOM (सरकारी) | निजी डिस्कॉम (दिल्ली/मुंबई) |
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AT&C लॉस | ~10% से कम | 13–15% (औसतन) |
ऑपरेटिंग प्रॉफिट | लगातार सकारात्मक | कई बार घाटे में |
विस्तार में निवेश | राज्य निधि + आंतरिक संसाधन | निजी फंड पर निर्भर |
सार्वजनिक क्षेत्र के सफल डिस्कॉम्स
पंजाब (PSPCL - Punjab State Power Corporation Ltd)
कृषि क्षेत्र में फ्री बिजली देने के बावजूद PSPCL ने बिलिंग दक्षता और उपभोक्ता सेवा में सुधार किया है। 2021 में PSPCL को CII की सर्वोत्तम DISCOM श्रेणी में रखा गया।
केरल (KSEB – Kerala State Electricity Board)
वितरण और उत्पादन दोनों पर KSEB का नियंत्रण है। AT&C लॉस लगभग 13-14%, और उपभोक्ता संतुष्टि में सुधार। 100% घरेलू विद्युतीकरण में अग्रणी। तकनीकी नवाचार जैसे स्मार्ट मीटर, GIS मैपिंग, उन्नत बिलिंग सॉफ्टवेयर।
सरकारी क्षेत्र है ज़रूरी
सरकारी कंपनियाँ केवल लाभ नहीं, सार्वजनिक सेवा के लिए भी उत्तरदायी होती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों तक बिजली पहुँचाना, सामाजिक योजनाओं के तहत कनेक्शन देना – ये काम निजी कंपनियाँ लाभ में न होने पर नहीं करतीं। DISCOMs राज्य की विकास नीति जैसे ‘सौभाग्य योजना’, ‘कुसुम योजना’ आदि के साथ तालमेल में काम करते हैं। सरकारी कंपनियों का लेखा-जोखा कैग (CAG) से लेकर संसद तक में प्रस्तुत किया जाता है, जिससे भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों पर निगरानी संभव होती है।
विशेषज्ञों की राय
ऊर्जा नीति विशेषज्ञों की राय है कि देश के अन्य राज्यों को भी निजीकरण की दिशा में जल्दबाज़ी करने के बजाय गुजरात के DISCOM मॉडल से सीख लेनी चाहिए। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकारी स्वामित्व अपने आप में कोई कमजोरी नहीं, बल्कि यदि उसे पारदर्शिता और तकनीक से जोड़ा जाए, तो यही प्रणाली सबसे अधिक जवाबदेह और विश्वसनीय हो सकती है।
“गुजरात का DISCOM मॉडल सरकारी क्षेत्र की क्षमताओं का प्रमाण है। यह दिखाता है कि यदि प्रशासनिक इच्छाशक्ति हो, तो निजीकरण की कोई आवश्यकता नहीं है।”
– प्रो. राकेश चौधरी, ऊर्जा विश्लेषक, IIT Gandhinagar
“पारदर्शिता और तकनीकी नवाचार ही सफलता की कुंजी है, न कि निजीकरण। DISCOMs को कॉर्पोरेटाइज करना चाहिए, पर बेचने की बजाय उन्हें सुधारना चाहिए।”
– विनीत खरे, पूर्व निदेशक, NTPC
देश के बिजली क्षेत्र में सुधार की दिशा में गुजरात का DISCOM मॉडल एक नज़ीर बनकर उभरा है। यह न केवल सरकारी कंपनियों के पक्ष में मजबूत तर्क प्रस्तुत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जनहित, लाभ और जवाबदेही, तीनों एक साथ संभव हैं, बशर्ते इरादा और नीति स्पष्ट हो।
गुजरात के चारों DISCOMs ने यह साबित कर दिया है कि सरकारी स्वामित्व का मतलब अक्षमता नहीं, बल्कि सुनियोजित नीति, पारदर्शी प्रबंधन और तकनीकी नवाचार के जरिए उत्कृष्ट प्रदर्शन भी हो सकता है। जब देश के कई राज्य DISCOM निजीकरण की ओर झुक रहे हैं, गुजरात का मॉडल स्पष्ट रूप से कहता है “सुधार का रास्ता निजीकरण नहीं, बल्कि जिम्मेदार और जवाबदेह सरकारी व्यवस्था है।”
स्रोत : GUVNL वार्षिक रिपोर्ट 2023, Ministry of Power, GoI, Central Electricity Authority (CEA)