पंप स्टोरेज तकनीक से सौर-पवन ऊर्जा को मिलेगा स्थायित्व

COP29 के बाद दुनिया ने माना – नेट ज़ीरो लक्ष्य पाने के लिए 'पानी' ही बनेगा असली बिजली!

 Pumped Storage Plant

जलवायु संकट के बीच दुनिया का ऊर्जा परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के अनुसार, 2050 तक वैश्विक विद्युत उत्पादन का 54% से 71% हिस्सा पवन और सौर ऊर्जा से आने की संभावना है। यह परिवर्तन जितना सराहनीय है, उतनी ही बड़ी चुनौती इसकी विश्वसनीयता और स्थायित्व को लेकर भी है। यदि इन ऊर्जा स्रोतों के लिए पर्याप्त भंडारण और लचीलापन नहीं विकसित किया गया, तो बिजली ग्रिड असंतुलित हो सकते हैं कभी जरूरत से ज्यादा और कभी बेहद कम बिजली की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

इन्हीं खतरों को भांपते हुए, COP29 सम्मेलन में पहली बार वैश्विक स्तर पर ऊर्जा भंडारण को प्राथमिकता दी गई। 100 से अधिक देशों ने "ग्लोबल एनर्जी स्टोरेज एंड ग्रिड्स प्लेज" पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत 2030 तक 1500 गीगावाट ऊर्जा भंडारण क्षमता, 25 लाख किलोमीटर ग्रिड विस्तार और ग्रिड निवेश को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अब जब COP30 निकट है, विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि इन लक्ष्यों को जल्द से जल्द राष्ट्रीय योजनाओं और परियोजनाओं में बदला जाए।

पंप स्टोरेज: ऊर्जा संक्रमण की रीढ़

इंटरनेशनल हाइड्रोपावर एसोसिएशन (IHA) के CEO एडी रिच ने इसे "वर्तमान ऊर्जा संकट में उपेक्षित संकट" बताया है और कहा कि अब समय आ गया है कि पंप स्टोरेज जैसे दीर्घकालिक भंडारण तकनीकों को प्राथमिकता दी जाए। ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में हुए उच्चस्तरीय संवादों में भी यह विषय केंद्र में रहा। न्यू साउथ वेल्स की ऊर्जा मंत्री पेनी शार्प ने कहा कि "हमें इसे सही ढंग से करना होगा", क्योंकि नवीकरणीय ऊर्जा को स्थिर और विश्वसनीय बनाए रखने के लिए दीर्घकालिक भंडारण अनिवार्य है।

IHA के अध्यक्ष और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल ने कहा, "आज सौर और पवन ऊर्जा नई उत्पादन की सबसे सस्ती विधियाँ हैं, लेकिन जब सूरज नहीं चमकता और हवा नहीं चलती, तब ऊर्जा की जरूरत होती है। ऐसे में बैटरी और पंप हाइड्रो दोनों जरूरी हैं।"

ऑस्ट्रेलिया में हो रही प्रगति

ऑस्ट्रेलियाई एनर्जी मार्केट ऑपरेटर सर्विसेज (AEMO) ने हाल ही में न्यू साउथ वेल्स रोडमैप टेंडर में पहली बार एक पंपड हाइड्रो प्रोजेक्ट को चयनित किया है, जिससे 1.03GW क्षमता और 13.79GWh ऊर्जा भंडारण जुड़ गया है। EDF ऑस्ट्रेलिया ने अपने डंगोवन पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट में 300MW क्षमता और 10 घंटे का भंडारण तय किया है।

क्वीनस्लैंड हाइड्रो के CEO कीरन कुसैक ने "पंप हाइड्रो को ऊर्जा परिवर्तन के लिए सही तकनीक" करार दिया और इसके महत्व को दोहराया।

भारत में पंप स्टोरेज की आवश्यकता और रणनीति

EDF इंडिया की हालिया रिपोर्ट "Strengthening India’s Pumped Storage Plant Framework" में यह स्पष्ट किया गया है कि 2032 तक भारत को 27 GW/175 GWh की पंप स्टोरेज क्षमता चाहिए होगी, ताकि 900GW क्षमता वाले ग्रिड में 54% हिस्सेदारी रखने वाले सौर-पवन ऊर्जा के साथ स्थिरता बनी रहे।

रिपोर्ट में कई सिफारिशें की गई हैं—

  • परियोजना आवंटन के लिए दो-चरणीय प्रक्रिया,

  • भुगतान सुरक्षा हेतु सेंट्रलाइज्ड एजेंसी और एस्क्रो अकाउंट,

  • सिंगल-विंडो अनुमोदन और आपूर्ति श्रृंखला सुधार।

 
A realistic 3D rendering of a pumped storage hydropower system built in a mountainous landscape. The image shows two reservoirs at different elevations connected by a steep inclined tunnel with penstocks and turbi
तकनीकी नवाचार: एयरबैटरी की शुरुआत

IHA से हाल ही में जुड़े ऑगविंड नामक कंपनी ने AirBattery नामक तकनीक विकसित की है, जो पंप स्टोरेज और संपीड़ित वायु भंडारण का समन्वय है। इसके जरिए कम जल और भूमि की आवश्यकता में ऊर्जा भंडारण संभव है। इसका 0.5MW/1MW डेमो प्रोजेक्ट हाल ही में चालू किया गया है।

जलविद्युत की लचीलापन क्षमता

Energy Reports में प्रकाशित वांग एट अल. के अध्ययन में यह बताया गया कि जब जलविद्युत संयंत्रों को लचीले तरीके से संचालित किया जाता है, तो पवन ऊर्जा की उपयोगिता बढ़ती है और गैस व बैटरी आधारित उत्पादन की आवश्यकता घटती है। उदाहरण के तौर पर, जब लचीलापन सूचकांक 0% से 20% तक बढ़ता है, तो प्रति MW जलविद्युत से 297 MWh अधिक पवन उत्पादन प्रणाली में जोड़ा जा सकता है।

इसके साथ ही, लचीलापन बढ़ने से ग्रिड लागत और उत्सर्जन में कमी आती है, और जलविद्युत संयंत्रों की लाभप्रदता भी बढ़ती है। शोध में यह भी पाया गया कि जलविद्युत की लचीलापन क्षमता, ट्रांसमिशन नेटवर्क और ऊर्जा भंडारण विकल्पों के साथ प्रतिस्थापन संबंध में है।

यूरोप में संभावनाएँ

नॉर्वे के दक्षिणी हिस्सों में मौजूदा जलाशयों के साथ पंपड हाइड्रो की क्षमता को 11–20GW तक बढ़ाने की संभावना है, साथ ही 5GW की पंपिंग क्षमता जोड़ी जा सकती है। इससे न केवल यूरोप में ऊर्जा कीमतों में स्थिरता लाई जा सकती है बल्कि मौसम आधारित उत्पादन के चलते पैदा होने वाले उतार-चढ़ाव को भी कम किया जा सकता है।

अर्थ एनवायरनमेंटल साइंस में प्रकाशित एंडर्स आर्वेसन एट अल. का शोध बताता है कि यदि नॉर्वे की जलविद्युत और ट्रांसमिशन क्षमताओं का विस्तार किया जाए, तो यह पवन-सौर उत्पादन में अत्यधिक या न्यूनतम स्थिति के दौरान ऊर्जा मूल्य अस्थिरता और उत्पादन कटौती को कम कर सकती है।

ऊर्जा भविष्य की यह लड़ाई अब केवल उत्पादन की नहीं, भंडारण और लचीलापन की है। पंप स्टोरेज तकनीक, चाहे पारंपरिक हो या नवाचार से युक्त, वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और नेट जीरो लक्ष्यों की कुंजी बन चुकी है। भारत सहित सभी देशों को इन वैश्विक लक्ष्यों को नीतिगत और व्यावहारिक कदमों में बदलने की दिशा में अब और देर नहीं करनी चाहिए।

“ऊर्जा क्रांति के इस युग में, सूरज और हवा के साथ पानी भी भविष्य को शक्ति देने जा रहा है।”

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