संघर्ष समिति ने स्मार्ट मीटर लगाने को बताया वैधानिक उल्लंघन
उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में जारी आंदोलन अब एक नए मोड़ पर पहुँच गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि निजीकरण को थोपने के प्रयास में पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने भय और दमन का रास्ता अख्तियार कर लिया है। संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया है कि बिजली कर्मियों के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाए जाने की प्रक्रिया न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यू.पी. इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999 और ट्रांसफर स्कीम 2000 का खुला उल्लंघन है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने शनिवार को कहा कि नवंबर 2024 में पावर कॉर्पोरेशन चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की घोषणा के बाद से ही शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध आंदोलन जारी है। लेकिन सात महीनों के बावजूद निजीकरण को लागू न कर पाने की "बौखलाहट में प्रबंधन अब दमन की नीति पर उतर आया है।"
उत्पीड़न की सूची
समिति ने आरोप लगाया कि हजारों कर्मियों का दूरस्थ स्थानों पर स्थानांतरण किया गया है। फेशियल अटेंडेंस के नाम पर कई कर्मचारियों का वेतन रोका गया है,संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करवाई गई है। अब कर्मचारियों के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाने के लिए पुलिस बल भेजा जा रहा है।
रिफॉर्म कानूनों का उल्लंघन
समिति ने चेताया कि यू.पी. इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999 की धारा 23(7) और ट्रांसफर स्कीम 2000 में स्पष्ट प्रावधान है कि जो सेवांत सुविधाएँ वर्ष 2000 में मिल रही थीं, उनमें कोई भी कटौती नहीं की जा सकती। रियायती दर पर बिजली और मेडिकल रिइम्बर्समेंट इन सेवाओं का हिस्सा है। ऐसे में कर्मियों के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाकर रियायती बिजली समाप्त करने का प्रयास कानून की सीधी अवहेलना है।
पूरे राज्य में निजीकरण की तैयारी
संघर्ष समिति का कहना है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम का निजीकरण मात्र एक शुरुआत है। यदि यह कदम सफल हो गया तो प्रदेश के बाकी वितरण निगम भी जल्द निजी हाथों में सौंप दिए जाएंगे। उन्होंने ग्रेटर नोएडा का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां निजी कंपनी बिजली कर्मियों को कोई रियायती सुविधा नहीं देती और अब उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन भी उसी राह पर बढ़ रहा है।
परिवार भी आएंगे मैदान में
संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि यदि दमनात्मक कार्रवाई नहीं रोकी गई तो बिजली कर्मियों के परिवार भी सत्याग्रह में उतरेंगे।
आज अवकाश के दिन समिति के पदाधिकारियों ने सभी जिलों में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाकर कर्मियों से अपील की कि आंदोलन को और धार देने की आवश्यकता है।
संघर्ष समिति का यह आक्रामक रुख और स्मार्ट मीटर के माध्यम से रियायती बिजली खत्म करने के प्रयासों के खिलाफ आवाज़ अब तेज़ होती जा रही है। आंदोलन अब केवल बिजली कर्मियों का नहीं रह गया, बल्कि इसमें उपभोक्ता, किसान और उनके परिवार भी एकजुट होते दिख रहे हैं।