नियामक आयोग पर निजीकरण दस्तावेज अनुमोदन का दबाव?

उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण निगमों के निजीकरण को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने विद्युत नियामक आयोग पर अवैध दबाव डालने का आरोप लगाते हुए कहा है कि यदि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण दस्तावेजों का अनुमोदन कराया गया, तो इसका तीखा और व्यापक विरोध होगा।

संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा), पावर कारपोरेशन के चेयरमैन, प्रबंध निदेशक और निदेशक वित्त द्वारा अचानक विद्युत नियामक आयोग में अध्यक्ष के साथ हुई बैठक से कर्मचारियों में रोष व्याप्त हो गया है। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि अवैधानिक आरएफपी दस्तावेज को अनुमोदन दिलाया गया तो 09 जुलाई को कर्मचारी प्रदेशव्यापी विरोध के साथ निर्णायक आंदोलन की शुरुआत करेंगे।

निजीकरण की प्रक्रिया पर गंभीर आरोप

संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण की पूरी प्रक्रिया ही गंभीर अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघन से भरी हुई है। ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में हितों के टकराव के प्रावधान को शिथिल किया गया, जो सीवीसी के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। जिस फर्म ग्रांट थॉर्टन को ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट बनाया गया, उसने झूठा शपथ पत्र दिया और अमेरिका में उस पर जुर्माना भी लगाया गया था। इसके बावजूद, न केवल उसे पद पर बरकरार रखा गया, बल्कि निदेशक वित्त को 3 बार सेवा विस्तार देकर पूरी प्रक्रिया की बागडोर उन्हीं के हाथों में सौंपी गई।

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RFP डॉक्यूमेंट पहले हो चुका है खारिज

समिति के अनुसार, निजीकरण के लिए जो RFP (Request for Proposal) दस्तावेज बनाया गया था, उसे पहले विद्युत नियामक आयोग द्वारा कई आपत्तियों सहित वापस कर दिया गया था। अब उसी दस्तावेज को दबाव डालकर पुनः अनुमोदित कराने का प्रयास किया जा रहा है।

समिति ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि यदि ऐसा होता है तो यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस' नीति की खुली अवहेलना मानी जाएगी।

राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन

संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि 9 जुलाई को भारत के 20 करोड़ से अधिक कर्मचारी और मजदूर, केंद्र व राज्य सरकारों की निजीकरण नीति के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर रहेंगे।

इस आंदोलन के समर्थन में उत्तर प्रदेश के एक लाख बिजली कर्मचारी, संविदाकर्मी, अभियंता और जूनियर इंजीनियर पूरे दिन विरोध प्रदर्शन करेंगे। यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि सरकार ने कदम नहीं पीछे हटाए, तो सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू होगा।

विरोध 222वें दिन भी जारी

आज पूरे प्रदेश में 222वें दिन का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। वाराणसी, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, आगरा, अयोध्या, मथुरा, नोएडा, ओबरा, अनपरा सहित सभी परियोजनाओं और जनपदों में विरोध सभाएं आयोजित की गईं।
सैकड़ों कर्मचारियों ने स्वेच्छा से जेल जाने की सूची में नाम दर्ज कराया और सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि यदि निजीकरण थोपने का प्रयास हुआ, तो बिजली कर्मी पीछे नहीं हटेंगे।

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मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील

संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीधा हस्तक्षेप करने की मांग की है। समिति ने आशा जताई है कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन और जनहित की ऊर्जा व्यवस्था के लिए निजीकरण की इस अवैधानिक प्रक्रिया को रोकेंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि यह सिर्फ बिजली कर्मचारियों की लड़ाई नहीं, बल्कि प्रदेश के करोड़ों उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा का संघर्ष है।

 

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