लद्दाख में दिखी उत्तरी रोशनी! वैज्ञानिकों ने सौर तूफान की अद्भुत कहानी का किया खुलासा
विज्ञान जगत में भारत की बड़ी उपलब्धि
क्या आपने मई 2024 में लद्दाख के साफ आसमान में रंग-बिरंगी उत्तरी रोशनी (Northern Lights) देखी थी? अब वैज्ञानिकों ने यह पता लगा लिया है कि ऐसा क्यों हुआ! यह खूबसूरत नज़ारा दरअसल सूर्य से आए एक ज़बरदस्त सौर तूफान (Solar Storm) की वजह से था – जिसे वैज्ञानिक कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहते हैं। एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में प्रकाशित ये निष्कर्ष अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान मॉडल में सुधार के लिए एक बड़ा कदम है। विशेष रूप से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर उस जटिल सीएमई घटनाओं के प्रभाव की जानकारी प्राप्त करने में जिसकी भविष्यवाणी हम करना चाहते हैं।
ये होता है CME
CME सूर्य के ऊपरी हिस्से (कोरोना) से निकलने वाला विशाल चुंबकीय प्लाज्मा होता है। जब यह पृथ्वी की ओर आता है, तो सैटेलाइट, बिजली ग्रिड और इंटरनेट जैसी चीजों को प्रभावित कर सकता है।
मई 2024 में एक के बाद एक छह CME सूर्य से निकले, जो आपस में टकराते और जुड़ते रहे – और फिर पृथ्वी से टकराए। इस प्रक्रिया के कारण लद्दाख में 20 वर्षों में पहली बार Northern Lights दिखाई दीं।
भारत की बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) के वैज्ञानिकों ने इस पूरी घटना को पहली बार शोध और मॉडलिंग के ज़रिए समझा है।
डॉ. वागीश मिश्रा और उनकी टीम ने NASA और ESA के आंकड़ों के साथ भारत के लद्दाख स्थित हानले वेधशाला के डेटा का उपयोग किया।
टीम ने पाया कि जब CME अंतरिक्ष में यात्रा करते हैं, तो वे केवल गर्म नहीं होते – वे बीच में ठंडे भी हो जाते हैं और फिर दोबारा गर्म होते हैं। इनमें उलझी हुई चुंबकीय रस्सियों जैसी संरचनाएं होती हैं जिन्हें “डबल फ्लक्स रोप्स” कहा जाता है।
ये शोध खास
पहली बार छह CME के ऊष्मागतिकीय व्यवहार (थर्मल एक्टिविटी) को इतनी गहराई से समझा गया। यह अध्ययन यह दिखाता है कि कैसे CME आपस में टकराकर अलग-अलग तापमान और ऊर्जा पैटर्न बनाते हैं।यह भविष्य में आने वाले सौर तूफानों की भविष्यवाणी करने में मदद कर सकता है।
आदित्य-L1 मिशन की भूमिका
IIA की टीम अब इस शोध को और आगे बढ़ाने के लिए भारत के आदित्य-L1 मिशन से मिलने वाले आंकड़ों का इंतज़ार कर रही है। इससे सूर्य से निकलने वाले CME के पूरा रास्ता सूर्य से पृथ्वी तक ट्रैक करना संभव हो पाएगा।