भारत ने समय से पहले हासिल किया 50% गैर-जीवाश्म ऊर्जा लक्ष्य
पेरिस समझौते में तय मानकों से पाँच वर्ष आगे
भारत ने अपनी स्थापित विद्युत क्षमता का 50.08 प्रतिशत अब गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त करना शुरू कर दिया है। यह उपलब्धि पेरिस समझौते के तहत तय वर्ष 2030 के लक्ष्य से पाँच वर्ष पहले ही हासिल कर ली गई है। यह केवल एक तकनीकी सफलता नहीं है, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका को भी मजबूती से दर्शाती है।
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि "जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान चाहने वाली दुनिया में, भारत राह दिखा रहा है। वर्ष 2030 के लक्ष्य से पाँच साल पहले यह उपलब्धि प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।"
- 30.06.2025 तक स्रोत द्वारा स्थापित विद्युत क्षमता (नवीकरणीय ऊर्जा + बड़ी जलविद्युत सहित)
क्षेत्र | क्षमता (गीगावॉट) | प्रतिशत |
तापीय विद्युत ऊर्जा | 242.04 गीगावॉट | (49.92 प्रतिशत) |
परमाणु ऊर्जा | 8.78 गीगावॉट | (1.81 प्रतिशत) |
नवीकरणीय ऊर्जा (बड़ी जलविद्युत परियोजना सहित) | 234.00 गीगावॉट | (48.27 प्रतिशत) |
कुल योग | 484.82 गीगावॉट | (100 प्रतिशत) |
- 30.06.2025 तक स्रोत द्वारा स्थापित विद्युत क्षमता (बड़ी जलविद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा अलग-अलग दर्शाई गई है)
क्षेत्र | क्षमता (गीगावॉट) | प्रतिशत |
तापीय विद्युत ऊर्जा | 242.04 गीगावॉट | (49.92 प्रतिशत) |
परमाणु ऊर्जा | 8.78 गीगावॉट | (1.81 प्रतिशत) |
बड़ी जलविद्युत परियोजना | 49.38 गीगावॉट | (10.19 प्रतिशत) |
नवीकरणीय ऊर्जा | 184.62 गीगावॉट | (38.08 प्रतिशत) |
कुल योग | 484.82 गीगावॉट | (100 प्रतिशत) |
- 30.06.2025 तक स्थापित क्षमता में जीवाश्म बनाम गैर-जीवाश्म ऊर्जा का हिस्सा
क्षेत्र | क्षमता (गीगावॉट) | प्रतिशत |
तापीय विद्युत ऊर्जा | 242.04 गीगावॉट | (49.92 प्रतिशत) |
गैर-जीवाश्म ईंधन (नवीकरणीय ऊर्जा+ बड़ी जलविद्युत परियोजना+परमाणु ऊर्जा) | 242.78 गीगावॉट | (50.08 प्रतिशत) |
कुल योग | 484.82 गीगावॉट | (100 प्रतिशत) |
सौर पार्क, हाइब्रिड नीति, और विंड-एनर्जी ज़ोन
– उपयोगिता स्तर पर रिकॉर्ड-कम दरों पर नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की सुविधा दी गई।
– विशेष रूप से गुजरात और तमिलनाडु में पवन ऊर्जा ने शाम की अधिकतम मांग को संतुलित करने में बड़ी भूमिका निभाई।
जैव ऊर्जा का पुनरुत्थान
– ग्रामीण रोजगार और रिसायकल इकोनॉमी को बल मिला।
– गन्ना, फसल अवशेष, और गोबर से ऊर्जा उत्पादन को गति दी गई।
G20 और COP सम्मेलनों में भारत की भागीदारी
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भारत ने जलवायु न्याय और सतत जीवनशैली की पैरवी की।
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LiFE अभियान (Lifestyle for Environment) को वैश्विक समर्थन मिला।
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G20 भारत की अध्यक्षता में सतत ऊर्जा संक्रमण को प्रमुख एजेंडा बनाया गया।
कम कार्बन उत्सर्जन में अग्रणी
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भारत अब भी प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन के मामले में विश्व के सबसे कम उत्सर्जक देशों में है।
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फिर भी, उसने विकास को रोकने की बजाय हरित मार्ग अपनाया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटलीकरण का प्रवेश
एआई के उपयोग
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ऊर्जा मांग का पूर्वानुमान
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स्मार्ट ग्रिड प्रबंधन
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स्वचालित बिजली वितरण और रखरखाव
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ऊर्जा दक्षता वृद्धि
भविष्य का उपभोक्ता
– स्मार्ट मीटर, इलेक्ट्रिक वाहन और रूफटॉप सोलर की मदद से उपभोक्ता अब ऊर्जा उत्पादक बनेंगे।
साइबर सुरक्षा एक अनिवार्यता
जैसे-जैसे ग्रिड डिजिटल हो रहा है, साइबर खतरों से सुरक्षा एक बड़ी प्राथमिकता बन गई है। डेटा चोरी, एल्गोरिद्म हैकिंग, और नेटवर्क भेद्यता के खिलाफ मज़बूत सुरक्षा ढांचे की आवश्यकता है।
ऊर्जा भविष्य के लिए अगला चरण
भारत अब 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा और 2070 तक Net-Zero उत्सर्जन की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। अगले कदमों में मुख्य रूप से
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बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) और पंप स्टोरेज जैसे ऊर्जा भंडारण के उपायों को अपनाना।
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हरित हाइड्रोजन पर त्वरित निवेश, जिससे भारी उद्योग, परिवहन और उर्वरक क्षेत्रों में डी-कार्बोनाइजेशन को बढ़ावा मिलेगा।
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सोलर पैनल और पवन टरबाइन जैसे उपकरणों के रिसायक्लिंग और पुनः उपयोग के नियमों को सख्ती से लागू करना।