भारत की पहली रेलवे समुद्री सुरंग बनी हकीकत
बांद्रा-कुर्ला से ठाणे के बीच 21 किमी लंबी सुरंग का पहला खंड पूरा, जापानी तकनीक ने रचा कमाल
अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स (BKC) और ठाणे के बीच बन रही देश की पहली रेलवे समुद्री सुरंग का पहला खंड पूरा हो चुका है। यह सिर्फ एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि आत्मविश्वास से भरी रफ्तार की तस्वीर है, जो गहराई से निकली है समुद्र के नीचे से।
इस 21.0 किलोमीटर लंबी सुरंग में से करीब 7 किलोमीटर हिस्सा अरब सागर के नीचे है। यह सुरंग तकनीकी जटिलताओं, इंजीनियरिंग की चुनौतियों और भूगर्भीय दबावों के बावजूद समय पर और सफलतापूर्वक बनाई जा रही है, जो देश की अभूतपूर्व तकनीकी क्षमता और इच्छाशक्ति को दर्शाता है।
जापानी तकनीक से सजी भारतीय रफ्तार
इस सुरंग का निर्माण जापान की उन्नत शिंकानसेन तकनीक और टनल बोरिंग मशीन (TBM) की मदद से किया गया है। TBM मशीनें समुद्र की सतह से 25-30 मीटर नीचे काम कर रही हैं, जहां कई परतों में चट्टान, पानी और मिट्टी के बीच रास्ता बनाना आसान नहीं था।
इसके लिए खास सिंगल-ट्यूब ट्विन ट्रैक टनल डिज़ाइन अपनाया गया है, जो हाई-स्पीड रेल की सुरक्षा, गति और टिकाऊपन के लिहाज से वैश्विक मानकों पर खरा उतरता है।
यह परियोजना देश की विकास यात्रा का प्रतीक है, जिसमें जापान एक विश्वसनीय और दीर्घकालिक साझेदार की भूमिका निभा रहा है।
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की अब तक की उपलब्धियाँ
-
310 किलोमीटर लंबा विशेष वायडक्ट तैयार
-
15 नदी पुलों का निर्माण पूरा
-
12 स्टेशनों में से 5 पूर्ण, 3 लगभग तैयार
-
BKC स्टेशन – ज़मीन से 32.5 मीटर नीचे, भविष्य में 95 मीटर ऊँची इमारत लायक नींव
-
ई10 शिंकानसेन ट्रेन भारत-जापान में एक साथ लॉन्च के लिए तैयार
भावना से भरपूर उपलब्धि
जब भारत की बुलेट ट्रेन समुद्र के नीचे से दौड़ेगी, तो यह सिर्फ इंजीनियरिंग का करिश्मा नहीं होगा, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं की रफ्तार होगी, जो दुनिया को यह बताएगी कि भारत अब भविष्य में नहीं, बल्कि भविष्य भारत में है।