ऊर्जा दक्षता और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने को आई अदिति योजना

अदिति का राष्ट्रीय स्तर पर शुभारंभ

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भारत को ऊर्जा दक्ष और निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए केन्‍द्रीय विद्युत और आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने सोमवार को हरियाणा के पानीपत स्थित आर्य पी.जी. कॉलेज में ‘अदिति’ योजना (ADETIE – Assistance for Deployment of Energy Efficiency Technologies in Industries and Establishments) का औपचारिक शुभारंभ किया।

₹1000 करोड़ के बजटीय परिव्यय वाली यह योजना विशेष रूप से देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। इसका उद्देश्य तकनीकी एवं वित्तीय सहायता के माध्यम से ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकियों को अपनाने को बढ़ावा देना है।

श्री मनोहर लाल ने इस अवसर पर अदिति पोर्टल (adeetie.beeindia.gov.in) का भी उद्घाटन किया, जो लाभार्थियों के लिए योजना से संबंधित प्रक्रियाओं को सहज बनाएगा। साथ ही योजना की आधिकारिक विवरणिका का अनावरण किया गया।

मंत्री महोदय ने कहा, “अदिति योजना न केवल ऊर्जा खपत को 30-50 प्रतिशत तक कम करने में सहायक होगी, बल्कि यह एमएसएमई को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी आंदोलन है।” उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और हरित औद्योगिक गलियारों के निर्माण में एमएसएमई की भूमिका पर भी बल दिया।

अदिति योजना के तहत सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को 5 प्रतिशत और मध्यम उद्यमों को 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान मिलेगा। यह सहायता ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं के लिए ऋण की पहुँच और सामर्थ्य को बढ़ाएगी। योजना में निवेश ग्रेड ऊर्जा लेखा परीक्षा, डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) निर्माण, तकनीकी मार्गदर्शन तथा निगरानी और सत्यापन जैसे पहलुओं को समाहित किया गया है।

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विद्युत मंत्रालय के सचिव पंकज अग्रवाल ने बताया कि बीईई (ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी) योजना के कार्यान्वयन में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। प्रारंभिक चरण में योजना को 14 ऊर्जा-प्रधान क्षेत्रों के 60 औद्योगिक क्लस्टरों में लागू किया जा रहा है, जिसके बाद 100 और क्लस्टर जोड़े जाएंगे।

बीईई के महानिदेशक आकाश त्रिपाठी ने बताया कि ₹1000 करोड़ के बजट में ₹875 करोड़ ब्याज अनुदान, ₹50 करोड़ ऊर्जा लेखा परीक्षा सहायता तथा ₹75 करोड़ कार्यान्वयन सहयोग के लिए हैं। इस योजना से लगभग ₹9000 करोड़ के निवेश की उम्मीद है, जिसमें एमएसएमई के लिए संभावित ₹6750 करोड़ के ऋण शामिल हैं।

हरियाणा सरकार के अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा) ए.के. सिंह ने कोयला आधारित ऊर्जा पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता जताई और एमएसएमई से इस योजना का भरपूर लाभ उठाने की अपील की।

कार्यक्रम में बीईई द्वारा एमएसएमई इकाइयों को उनके डीपीआर अनुमोदन के लिए प्रशंसा प्रमाण पत्र वितरित किए गए। साथ ही कुछ एमएसएमई प्रतिनिधियों ने ऊर्जा ऑडिट और नई प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से मिले लाभ के अनुभव साझा किए।

तीन वर्षों में होगा कार्यान्वयन
अदिति योजना को वित्त वर्ष 2025-26 से 2027-28 तक तीन वर्षों में चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा। इससे योजना की प्रभावशीलता के आधार पर सुधार और विस्तार की संभावनाएँ खुली रहेंगी।

ऊर्जा संरक्षण में बीईई की अहम भूमिका
2001 के ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत 2002 में गठित बीईई, देश में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए नीतियाँ और रणनीतियाँ बनाता है। अदिति योजना इसी मिशन की एक बड़ी कड़ी है जो भारत को स्वच्छ और हरित औद्योगिक इकोसिस्टम की ओर अग्रसर करेगी।

अदिति के माध्यम से एमएसएमई को न केवल ऊर्जा दक्षता में लाभ मिलेगा, बल्कि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी बेहतर स्थिति में आ सकेंगे। यह योजना भारत के हरित विकास और जलवायु प्रतिबद्धताओं को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम मानी जा रही है।

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ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकी (Energy Efficient Technology)

ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकी का मतलब है ऐसी तकनीक या उपकरण जो कम ऊर्जा (बिजली, ईंधन, गैस आदि) का उपयोग करके अधिक काम करते हैं, यानी कम संसाधनों में ज़्यादा आउटपुट देते हैं। इससे बिजली की बचत होती है, खर्च कम होता है और पर्यावरण को भी नुकसान कम पहुँचता है।

सरल शब्दों में समझें

अगर एक पुराना पंखा 100 वॉट की बिजली लेता है और एक नया पंखा सिर्फ 40 वॉट में उतनी ही हवा देता है, तो नया पंखा ऊर्जा दक्ष है।


ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकी के उदाहरण
क्षेत्र पारंपरिक उपकरण ऊर्जा दक्ष विकल्प
बिजली साधारण बल्ब (Incandescent) एलईडी बल्ब
रेफ्रिजरेटर 1 स्टार फ्रिज 5 स्टार BEE रेटेड फ्रिज
मशीनरी सामान्य मोटर IE3 या IE4 ग्रेड मोटर
वॉटर हीटर रॉड हीटर हीट पंप वॉटर हीटर
घरेलू उपकरण पुराना एसी इनवर्टर टेक्नोलॉजी वाला AC
उद्योगों में स्टीम बॉयलर ऊर्जा दक्ष बॉयलर + हीट रिकवरी सिस्टम
इसके फायदे
  1. बिजली की बचत होती है

  2. बिजली का बिल कम आता है

  3. उत्सर्जन (Pollution) कम होता है

  4. उत्पादन लागत घटती है

  5. पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है

उद्योगों में क्यों ज़रूरी है?

उद्योग सबसे ज़्यादा ऊर्जा खपत करने वाला क्षेत्र है। अगर उद्योग ऊर्जा दक्ष मशीनें और प्रक्रियाएँ अपनाते हैं तो वे:

  • 30-50% तक बिजली बचा सकते हैं,

  • प्रोडक्शन लागत घटा सकते हैं,

  • और कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी ला सकते हैं।

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