सौर ऊर्जा की प्रगति के बावजूद कोयले पर भारी निर्भरता बरकरार – IEEFA रिपोर्ट
सौर ऊर्जा में तेज़ी से हो रही प्रगति के बावजूद भारत आज भी अपनी शाम की बिजली मांग को पूरा करने के लिए भारी मात्रा में कोयले पर निर्भर है। ऊर्जा अर्थशास्त्र और वित्तीय विश्लेषण संस्थान (IEEFA) की नवीनतम रिपोर्ट में यह चिंता जताई गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, कोयला आज भी देश की विद्युत आपूर्ति पर हावी है, जो कुल दैनिक उत्पादन का लगभग 73% (157.6 गीगावाट) है। जबकि सौर ऊर्जा दिन के समय बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा बन चुकी है, सूर्यास्त के बाद की बिजली मांग अब ग्रिड पर भारी दबाव डाल रही है।
IEEFA साउथ एशिया की ऊर्जा विशेषज्ञ और सह-लेखिका सलोनी सचदेवा माइकल ने कहा, कि शाम के समय की मांग अब दिन की मांग के बराबर पहुंच रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हमें तुरंत ऊर्जा भंडारण प्रणाली, हाइब्रिड अक्षय परियोजनाएं और मांग प्रबंधन उपायों को अपनाने की आवश्यकता है।
बिजली की खपत का क्षेत्रवार विश्लेषण
वित्त वर्ष 2023-24 में बिजली की खपत का सबसे बड़ा हिस्सा औद्योगिक क्षेत्र (32%) का रहा, इसके बाद घरेलू (31%), कृषि (22%), और व्यावसायिक (10%) क्षेत्रों का योगदान रहा।
हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की हिस्सेदारी अभी भी कम है, लेकिन उनकी बिजली खपत तेजी से बढ़ी है, FY2021 में 59 मिलियन यूनिट से FY2024 में 569 मिलियन यूनिट, यानी दस गुना वृद्धि।
सौर ऊर्जा को मांग के अनुरूप बनाना जरूरी
IEEFA ने सुझाव दिया है कि सौर ऊर्जा का बेहतर उपयोग मांग पैटर्न के अनुसार लोड शिफ्टिंग से किया जा सकता है।
IEEFA साउथ एशिया की निदेशक विभूति गर्ग ने कहा कि विशेष रूप से औद्योगिक और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को प्रोत्साहन देकर शाम की बजाय दिन के समय बिजली की खपत बढ़ाने की दिशा में प्रयास करने चाहिए।उन्होंने कहा कि टाइम-ऑफ-डे (ToD) टैरिफ में अधिक मूल्य अंतर लाकर उपभोक्ताओं को प्रेरित किया जा सकता है।
स्टोरेज, दक्षता और हाइब्रिड समाधान की ज़रूरत
रिपोर्ट में बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (Battery Energy Storage Systems) को तेज़ी से अपनाने की सिफारिश की गई है, जो ग्रिड को स्थिर बनाए रखने और कोयले पर निर्भरता घटाने में मदद करेंगी।
IEEFA की ऊर्जा विश्लेषक कायरा रखेजा ने कहा कि PLI योजना के त्वरित वितरण और आयात शुल्क में सुधार से भंडारण लागत घटाने में मदद मिलेगी, जब तक कि घरेलू निर्माण को गति न मिले। साथ ही ऊर्जा दक्ष उपकरण जैसे LED लाइट, 5-स्टार AC और मोटरों को बढ़ावा देने की बात भी कही गई है। इसके लिए ब्याजमुक्त ऋण और कम GST दरें सुझाई गई हैं।
हाइब्रिड अक्षय परियोजनाओं में बाधाएं
IEEFA ने ऐसे हाइब्रिड प्रोजेक्ट्स की ओर ध्यान दिलाया है जो सौर (दिन में), पवन (शाम/रात में) और जलविद्युत (जरूरत के अनुसार) का संयोजन करें। परंतु भूमि अधिग्रहण, ट्रांसमिशन समन्वय की कमी और स्टोरेज की ऊंची लागत जैसे कई अवरोध हैं।
रिपोर्ट में सरकार से मांग की गई है कि हाइब्रिड क्लस्टर्स के लिए भूमि और ट्रांसमिशन सुविधा की सहज उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। पावर खरीद समझौतों (PPAs) को अपडेट किया जाए ताकि स्थिर और नियोजित आपूर्ति को महत्व मिल सके,और स्टोरेज आधारित सेवाओं के लिए मुआवजा मॉडल स्पष्ट किया जाए।
डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की भूमिका
रिपोर्ट में भविष्य की बिजली प्रणाली को कारगर बनाने के लिए डिजिटल उपकरणों को अपनाने की सिफारिश की गई है, जिससे मांग पूर्वानुमान, ग्रिड योजना और संचालन में सुधार हो सके।
सलोनी सचदेवा ने कहा कि भारत की बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने के लिए यह जरूरी है कि हम बिजली उत्पादन, भंडारण और खपत के तरीकों में रणनीतिक बदलाव लाएं। इससे हम स्वच्छ, सस्ता और जलवायु-संवेदनशील पावर सिस्टम तैयार कर सकते हैं।