शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन पर ऊर्जा मंत्री को गलत सूचना दिए जाने का आरोप

 इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के तहत दी गई  सुविधा वापस ली गई तो बिजली कर्मी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे

शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन पर ऊर्जा मंत्री को गलत सूचना दिए जाने का आरोप

लखनऊ- विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आज यहां जारी बयान में कहा है कि  इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999 के तहत एवं ट्रांसफर स्कीम 2000 के तहत  बिजली कर्मियों को रियायती दर पर बिजली की सुविधा मिल रही है जिसे वापस लेने की कोई भी कोशिश सीधे-सीधे एक्ट का उल्लंघन होगा |  संघर्ष समिति ने इस बाबत ऊर्जा निगमों के शीर्ष  प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने ऊर्जा मंत्री को सही सूचना नहीं दी है |   ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन के इस रवैये से अनावश्यक भ्रम  का वातावरण बन रहा है|  संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि रिफॉर्म एक्ट और ट्रांसफर स्कीम के प्रावधानों  का उल्लंघन कर बिजली कर्मियों को मिल रही रियायती दर पर बिजली की सुविधा में कोई छेड़छाड़ की गई तो सभी ऊर्जा निगमों के  तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता आंदोलन प्रारंभ करने हेतु बाध्य होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन की होगी| 

        संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों पल्लव मुखर्जी, प्रभात सिंह, जी वी  पटेल, जयप्रकाश, गिरीश पांडे, सदरुद्दीन राना , राजेंद्र घिल्डियाल ,सुहेल  आबिद, पी के दीक्षित, बृजेश त्रिपाठी,  ए के श्रीवास्तव,प्रेमनाथ राय , महेंद्र राय, राम चरन  सिंह , सनाउल्लाह , मोहम्मद वसीम, शशिकांत श्रीवास्तव ,सुनील प्रकाश पाल ,भगवान मिश्रा , कुलेन्द्र सिंह, आर के सिंह , पी एस बाजपेई , कपिल मुनि , नरेंद्र श्रीवास्तव  ने आज यहां जारी बयान में कहां की ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन ने बिजली कर्मियों को मिल रही रियायती बिजली की सुविधा के बारे में शक्ति भवन में 04 जून को हुई मीटिंग में, ऊर्जा मंत्री मा अरविन्द कुमार शर्मा और मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पूरी बात नहीं बताई जिससे भ्रम का वातावरण बना है | 

          संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि  बिजली बोर्ड के विघटन के बाद जारी ट्रांसफर स्कीम के सेक्शन 12 (बी ) में साफ़ लिखा है कि रियायती बिजली का अर्थ है कि बिजली की दरों में रियायत किसी भी स्थिति में उससे कम नहीं होगी जो विघटन के समय 14 जनवरी 2000 से पहले  मिल रही थी | इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999 के सेक्शन 23 (7 ) हुए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 133 (2 ) में भी यही लिखा है | 

     " Section 23(7) of Electricity Reform Act 1999 provides ' terms and conditions of service of personnel shall not be less favorable to terms and conditions which were applicable to them before the transfer.The same spirit has been echoed under first proviso of section 133(2) of Electricity Act 2003.' The benefits for employees / pensioners as provided in section 12 (b) of Uttar Pradesh Reform Transfer Scheme 2000 include " concessional rate of electricity " , which means concession in rates of electricity to the extent, it is not inferior to what was existing before 14 January 2000."

         संघर्ष समिति ने उम्मीद जताई है कि माननीय ऊर्जा मंत्री इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999 के सेक्शन 23 (7) हुए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 133 (2) के प्रावधानों को देखते हुए बिजली कर्मियों को मिल रही रियायती बिजली की सुविधा में कोई परिवर्तन नहीं होने देंगे | 

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