बाघों के अभयारण्य की संख्या बढ़कर हुयी 52
चंद्रपुर,महाराष्ट्र-केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे महाराष्ट्र के चंद्रपुर फॉरेस्ट अकादमी में वैश्विक बाघ दिवस 2022 के समारोह में सम्मिलित हुये।
दोनों मंत्रियों ने अन्य प्रतिनिधियों के साथ ‘ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व’ का दौरा किया और वहां के परिदृश्य, फूल-पौधों और जीव-जंतुओं की विविधता की सराहना की। उन्होंने वन के स्टाफ और बाघ अभयारण्य प्रबंधन के लोगों से बातचीत भी की, ताकि मैदानी स्तर पर संरक्षण के विषयों का जायजा लिया जा सके।
ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या अधिक है, जो स्थानीय आबादी के साथ-साथ रहते हैं। श्री यादव ने एम-स्ट्राइप्स नामक मोबाइल एप्लीकेशन की मदद से गश्त लगाने और कानूनी गतिविधियां चलाने के लिये वहां के स्टाफ की समर्पण भावना की प्रशंसा की। उन्होंने अनोखे समुदाय-आधारित इको-पर्यटन आदर्श की भी सराहना की, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है और अभयारण्य के लिये लोगों का समर्थन प्राप्त होता है।
चंद्रपुर स्थित फॉरेस्ट अकादमी में वैश्विक बाघ दिवस समारोह मनाया गया। मंत्री महोदय को स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स ने सलामी गारद पेश की। यह विशेष बल महाराष्ट्र के बाघ अभयारण्यों और केरल वन विभाग के लोगों को मिलाकर बना है, जो निश्चित प्रकार के अपराधों को रोकने के लिये तैयार किया गया है।
पर्यावरण मंत्री ने जोर देते हुये कहा कि बाघ शक्ति का प्रतीक है और वह जैव-विविधता संरक्षण, वन, जल तथा जलवायु सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि भारत बाघ संरक्षण में विश्व में अग्रणी है तथा वह कम्बोडिया, चीन, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, म्यांमार और रूस जैसे देशों के साथ बाघ संरक्षण कार्य में सहयोग कर रहा है। श्री चौबे ने कहा कि हमें मनुष्य, पशु और प्रकृति के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के भविष्य की परिकल्पना करनी चाहिये।
अग्रिम पंक्ति के स्टाफ को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके तहत दो वन-कर्मियों, दो फॉरेस्ट गार्डों और दो वॉचरों/सुरक्षा सहायकों/टाइगर ट्रैकरों को एक-एक लाख रुपये दिये गये। ये पुरस्कार मंत्री महोदय ने प्रदान किये, जो इन लोगों को बाघ संरक्षण में शानदार काम करने पर दिये गये। पुरस्कार कार्यक्रम भी समारोह का हिस्सा था।
कार्यक्रम में स्थानीय जन प्रतिनिधि, देश के बाघ अभयारण्यों के क्षेत्र निदेशक, महाराष्ट्र सरकार के वरिष्ठ वन अधिकारी तथा महाराष्ट्र और केरल की स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का दल भी उपस्थित था।