भारत छोड़ो आंदोलन की 80 वीं वर्षगांठ पर देशभर में बिजली कर्मियों का होगा विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली,2 अगस्त -नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स के आवाहन पर आज दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बिजली कर्मियों का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। सम्मेलन में पारित एक प्रस्ताव के जरिए केंद्र सरकार को चेतावनी दी गई है कि यदि केंद्र सरकार ने बिजली कर्मियों और बिजली के उपभोक्ताओं से विस्तृत चर्चा किए बिना इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में संशोधन करने हेतु इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 को संसद से पारित कराने की कोशिश की तो इसका पुरजोर विरोध होगा और देश भर के तमाम 27 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर तत्काल काम बंद करने हेतु मजबूर होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।
राष्ट्रीय सम्मेलन में कई प्रमुख राजनीतिक दलों के सांसदों ने आकर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 को जनविरोधी बताते हुए बिजली कर्मचारियों के संघर्ष को पुरजोर समर्थ समर्थन देने की घोषणा की। मुख्यतया आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, तेलंगाना राष्ट्र समिति के नागेस्वर राव,सीपीएम के इलामारन करीम, तृणमूल कांग्रेस के एमपी दोला सेन,सीपीएम के एमपी बिनय बिस्वास,कॉमरेड तपन सेन,संयुक्त किसान मोर्चा के हन्नान मुल्ला,सपा के श्याम सुंदर सिंह एलएलसी ने सम्मेलन में संबोधन किया और समर्थन दिया।
सम्मेलन में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन,ऑल इंडिया पावर मेन्स फेडरेशन, इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्षों के अध्यक्ष मंडल ने अध्यक्षता की।
इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 के जनविरोधी प्रावधानों के विरोध में कोऑर्डिनेशन कमिटी की ओर से मुख्य प्रस्ताव ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने रखा।
प्रस्ताव में कहा गया है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 के जरिए केंद्र सरकार निजी कंपनियों को सरकारी क्षेत्र के विद्युत वितरण कंपनी का नेटवर्क इस्तेमाल कर मुनाफा कमाने का मौका देना चाहती है। विद्युत वितरण कंपनियों का यह नेटवर्क आम जनता के पैसे से अरबों खरबों रुपए खर्च करके बनाया गया है । अमेंडमेंट बिल के अनुसार निजी कंपनियां सरकारी नेटवर्क का इस्तेमाल करेंगी और केवल मुनाफे वाले उपभोक्ताओं इंडस्ट्रियल और कमर्शियल कंज्यूमर्स को बिजली देकर लाभ कमाएंगे।
चूंकि अमेंडमेंट बिल में यूनिवर्सल पावर सप्लाई ऑब्लिगेशन अर्थात सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली देने का दायित्व केवल सरकारी कंपनी का होगा अतः निजी कंपनियां घाटे वाले किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली नहीं देंगे। निजी कंपनियां सरकारी कंपनी का नेटवर्क प्रयोग कर सरकारी कंपनी से मुनाफे वाले इंडस्ट्रियल और कमर्शियल उपभोक्ताओं को छीन लेंगे परिणाम स्वरूप सरकारी क्षेत्र की कंपनी का घाटा और बढ़ जाएगा और अंततः बीएसएनल की तरह सरकारी क्षेत्र की विद्युत वितरण कंपनी कंगाल हो जाएगी और इसका नेटवर्क भी कौड़ियों के दाम निजी कंपनियों को दे दिया जाएगा।
प्रस्ताव में यह बताया गया है कि अमेंडमेंट बिल के अनुसार सब्सिडी और क्रॉस सब्सिडी समाप्त की जानी है जिसका दुष्परिणाम यह होगा कि 7.5 हॉर्स पावर का पंपिंग सेट प्रयोग करने वाले आम किसान को मात्र 6 घंटे पंपिंग सेट चलाने पर 10000 रु से अधिक का महीने में भुगतान करना होगा। गरीबी रेखा के नीचे और आम घरेलू उपभोक्ताओं पर भी बहुत महंगी बिजली की चोट पड़ेगी।
सम्मेलन में नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के संयोजक प्रशांत चौधरी, शैलेंद्र दुबे ,पद्मजीत सिंह,आरके त्रिवेदी मोहन शर्मा, समर सिन्हा, कुलदीप कुमार, पी रत्नाकर राव, अभिमन्यु धनकड़,के अशोक राव, सुभाष लांबा,कृष्णा भोयूर, आर के शर्मा और देश के विभिन्न प्रांतों से आए हुए कर्मचारी व इंजीनियर प्रतिनिधियों ने संबोधन किया और केंद्र सरकार से मांग की कि व्यापक जनहित में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 वापस लिया जाए और यदि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में संशोधन करना अनिवार्य है तो मेजर स्टेकहोल्डर बिजली कर्मचारियों और बिजली के उपभोक्ताओं से विस्तृत चर्चा करने हेतु अमेंडमेंट बिल को बिजली मामलों की संसद की स्टैंडिंग कमिटी को संदर्भित किया जाए।
सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि आगामी 9 अगस्त को, जो भारत छोड़ो आंदोलन की 80 वीं वर्षगांठ है, पूरे देश में समस्त जनपद व परियोजना मुख्यालयों पर बिजली कर्मचारी व्यापक विरोध प्रदर्शन कर बिल के विरोध में गुस्सा जाहिर करेंगे।
सम्मेलन में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि केंद्र सरकार ने जोर जबरदस्ती से इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 को पारित कराने की कोई एक तरफा कोशिश की तो जिस दिन यह बिल संसद में रखा जाएगा उसी दिन पूरे देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर तत्काल काम बंद कर व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।