इलेक्ट्रॉनिक आईसीयू और टेलीकंसल्टेशन जैसी सेवाएं अब वास्तविकता
नई दिल्ली,12 अगस्त 2022- केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव राजेश भूषण ने आज यहां राष्ट्रीय चिकित्सा पुस्तकालय में डीजीएचएस डॉ. (प्रोफेसर) अतुल गोयल की उपस्थिति में तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन "ईआरएमईडी कंसोर्टियम: डिजिटल हेल्थ रिसोर्सेज: ए रियेलिटी" का उद्घाटन किया।
नेशनल मेडिकल लाइब्रेरी का इलेक्ट्रॉनिक रिसोर्सेज इन मेडिसिन (एनएमएल-ईआरएमईडी) कंसोर्टियम स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) और केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक संसाधन कंसोर्टियम है, जिसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) सहित 71 राज्य और केन्द्र द्वारा वित्त पोषित सरकारी संस्थानों को 228 ई-जर्नलों तक चौबीसों घंटे पहुंच प्रदान की जा रही है।
श्री भूषण ने एनएमएल को उनके विस्तार प्रयासों के लिए बधाई दी और बताया कि महामारी के बाद राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर समग्र पुस्तकालय परिदृश्य बदल गया है। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलाव हो रहा है चाहे वह प्रिंट हो और मैनुअल लर्निंग संसाधनों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप हो। “लेकिन हमें बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखना चाहिए कि भारत शायद दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है जो हाल के दिनों में चिकित्सा संस्थानों का सार्थक विस्तार देख रहा है। इसलिए, हमें वैश्विक तकनीकी कार्य प्रणालियों को अपनाने में सावधान रहना चाहिए और अपनी स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए।"
भारत में जीवंत अनुसंधान समुदाय की उपस्थिति और हमारे तकनीकी कौशल पर प्रकाश डालते हुए, जिसे और अधिक प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कोविन प्लेटफॉर्म का उल्लेख किया जो न केवल हमारे नागरिकों को 2 अरब से अधिक वैक्सीन खुराक डिजिटल रूप से दर्ज करने के साथ मजबूती से सेवा देने में सक्षम हुआ है, बल्कि इसकी विश्व की सर्वोत्तम कार्य प्रणाली के रूप में सराहना हुई है। उन्होंने हितधारकों से इसी तरह के डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ आने और घरेलू सर्वोत्तम कार्य प्रणालियां तैयार करने का आग्रह किया जहां भारतीय तरीके और भारतीय समाधान डिजिटल स्पेस पर हावी हों।
श्री भूषण ने चिकित्सा शिक्षण और चिकित्सा देखभाल पर महामारी के प्रभाव को दोहराया। इलेक्ट्रॉनिक आईसीयू या टेली-आईसीयू और टेलीकंसल्टेशन के उदाहरणों का हवाला देते हुए, जो अब एक आम बात हो गई है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महामारी ने डिजिटल चिकित्सा देखभाल के इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार देश में इंटरनेट और मोबाइल प्रौद्योगिकी के प्रवेश का तकनीकी लाभ उठाकर इन सेवाओं का विस्तार कर रही है। स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता के साथ-साथ पहुंच, खरीदने की सामर्थ्य बनाने, इक्विटी सुनिश्चित करने के लिए इन रास्तों को जमीनी स्तर पर आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस मजबूत जमीनी कार्य पर आधारित, पुस्तकालयों को भी नवीन सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के साथ आना चाहिए ताकि यह हमारे चिकित्सा पेशेवरों की जरूरतों को पूरा करने में मदद कर सके।
ईआरएमईडी का मुख्य ध्यान एनएमसी दिशानिर्देशों का पालन करने, सभी चिकित्सकों की देखभाल को मानकीकृत करने, देखभाल में परिवर्तनशीलता को कम करने, सुरक्षित रोगी देखभाल को सक्षम करने, उचित दवा का उपयोग करने और व्यवहार निर्धारित करने, चिकित्सा त्रुटियों को कम करने, अनावश्यक नैदानिक परीक्षण को रोकने, रहने का समय कम करने, कम मृत्यु दर, नवीनतम अनुसंधान तक पहुंचने, सूचना विकास, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति में मेडिकल कॉलेजों की मदद करना है। ईआरएमईडी कंसोर्टियम इस प्रक्रिया में अनुसंधान उत्पादन और सदस्य संस्थानों की रैंकिंग का विस्तार करेगा। भारत सरकार ने एनएमएल-ईआरएमईडी कंसोर्टियम प्रोजेक्ट के तहत इलेक्ट्रॉनिक जर्नलों तक पहुंच के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान की है। ईआरएमईडी सदस्यों के पास संकाय सदस्यों और छात्रों के लाभ के लिए उन्नत नैदानिक उपकरणों और प्रसिद्ध प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित संसाधनों तक पहुंच है।
कार्यक्रम में एनएमएल-ईआरएमईडी की आधिकारिक वेबसाइट (http://www.ermed.in/) और बुकलेट की भी शुरूआत की गई।
इस कार्यक्रम में डीजीएचएस डॉ. (प्रो) अतुल गोयल, एएस एंड एफए आशीष श्रीवास्तव, जेएस हेकाली झिमोमी, नेशनल मेडिकल लाइब्रेरी के निदेशक डॉ. (प्रो.) बी श्रीनिवास, डीडीजी, डीजीएचएस (पी) डॉ. (प्रो) अनिल मानिकतला, प्रोफेसर ऑफ एक्सीलेंस (पीओई) डॉ. राजीव गर्ग के साथ अन्य विशेषज्ञ और मंत्रालय के अधिकारी उपस्थित थे।