जनता के चिकित्सक
बेल्ले मोनप्पा हेगड़े ( जन्म- 18 अगस्त, 1938) एक हृदय रोग विशेषज्ञ, पेशेवर शिक्षक और लेखक हैं। वह मणिपाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, मधुमेह अनुसंधान केंद्र, चेन्नई के सह–अध्यक्ष और भारतीय विद्या भवन, मैंगलोर के अध्यक्ष हैं। उन्होंने चिकित्सा पद्धति और नैतिकता पर कई पुस्तकें लिखी हैं। बेल्ले मोनप्पा हेगड़े मेडिकल जर्नल, जर्नल ऑफ द साइंस ऑफ हीलिंग आउटकम के प्रधान संपादक भी हैं। उन्हें 1999 में डॉ. बी.सी. रॉय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साल 2010 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
डॉ. हेगड़े को 'जनता का चिकित्सक' कहा जाता है, उनका मानना है कि स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल का तरीका न्यूनतम चिकित्सा का उपयोग है और अनावश्यक उपचार या सर्जरी से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि 'सुधारात्मक उद्देश्यों के लिए सर्जरी को सीमित किया जाना चाहिए। अगर एक बच्चा छेद (दिल में) के साथ पैदा होता है, तो फिर उसे सर्जरी के जरिए ठीक करने की जरूरत होती है।' उनका कहना है कि लोगों को यह विश्वास दिलाया जाना चाहिए कि दवा की गोली खिलाने से तुरंत राहत मिलती है। लेकिन हर एक को याद रखना चाहिए कि हर बीमारी के पीछे एक दवा की गोली है।
वह कहते हैं, 'आपको सिरदर्द है; आपका रक्तचाप बढ़ जाता है। फिर आप चेक-अप के लिए एक डॉक्टर के पास जाते हैं, जिसका अर्थ है कि आप एक मरीज हैं और आप उस स्थिति से वापस नहीं आ पाते हैं। इसके बजाय, पांच बार सांस लेने की तकनीक वाला एक सरल प्राणायाम आपको सिरदर्द से तेजी से राहत दिला सकता है।' डॉ. हेगड़े पाठकों के बीच एक बड़े स्तंभ के साथ एक नियमित स्तंभकार रहे हैं। वह वर्तमान चिकित्सा अनुसंधान और फार्मा कंपनियों के व्यवहार और आचरण में खामियों को उजागर करते रहते हैं।
साभार-भारत डिस्कवरी