भारत ने 28वां विश्व ओजोन दिवस मनाया
मुम्बई,16 सितंबर 2022-मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में नीति निर्माण के संदर्भ में भारत का योगदान उल्लेखनीय है, भारत ने ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के उत्पादन और खपत को धीरे-धीरे समाप्त करने में सक्रिय भूमिका निभाई है। केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन तथा श्रम और रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव ने 28वां विश्व ओजोन दिवस मनाने के लिए मुम्बई में आज आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन तथा उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने महाराष्ट्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से किया था।
इस अवसर पर केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि भारत वैश्विक उत्सर्जन में पारंपरिक योगदानकर्ता नहीं रहा है, लेकिन अपने कार्यों से, हम एक समस्या हल करने का इरादा दिखा रहे हैं। यह कहते हुए कि दुनिया ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग के कारण जलवायु संकट का सामना कर रही है, पर्यावरण मंत्री ने एल.आई.एफ.ई.(लाइफ फॉर एनवायरमेंट) का मंत्र अपनाने का आह्वान किया, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टिकाऊ जीवन शैली की अवधारणा की तर्ज पर गढ़ा था, जो हमें बिना सोचे समझे नहीं बल्कि सावधानी से संसाधनों के उपभोग और इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करता है।
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बार-बार सावधानीपूर्वक खपत पर ध्यान केन्द्रित किया है, उदाहरण के लिए, बर्बादी किए बिना गोदामों और रेफ्रीजरेटर में ऊर्जा का उपयोग कैसे करें, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी लड़ाई की तर्ज पर हैं। श्री यादव ने कहा, भारत उन देशों में से है, जिन्होंने कहा है कि देश का निरन्तर विकास इस तरह होगा कि 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल हो जाए। पर्यावरण मंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने किगाली संशोधन को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सितम्बर 2021 में इसकी पुष्टि के बाद, केन्द्र सरकार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) को कम करने के लिए उद्योग के साझेदारों के साथ परामर्श कर एक राष्ट्रीय रणनीति विकसित करने की दिशा में काम कर रही है।
पर्यावरण मंत्री ने बताया कि मंत्रालय जल्द ही सम्मिश्रणों सहित कम ग्लोबल वार्मिंग की संभावना वाले रसायनों के अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए आठ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (बॉम्बे, रुड़की, हैदराबाद, कानपुर, गुवाहाटी, बनारस, मद्रास और दिल्ली) के साथ सहयोग करेगा। सहयोगपूर्ण अनुसंधान शोध छात्रों की भागीदारी से उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप किया जाएगा, जिससे इस क्षेत्र में एक मजबूत आर एंड डी इकोसिस्टम विकसित होगा, और सरकार की मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी।
श्री यादव ने इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) के लक्ष्यों पर भी प्रकाश डाला, जो एमओईएफसीसी द्वारा विकसित एक दूरदर्शिता दस्तावेज है ताकि 2037-38 की अवधि में रेफ्रिजरेंट के कम उपयोग, जलवायु परिवर्तन को कम करने और निरन्तर विकास लक्ष्यों से संबंधित सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ प्रदान किए जा सकें। उन्होंने सिफारिशों के कार्यान्वयन की प्रगति पर प्रकाश डाला।