जलीय इकोसिस्टम में अंत:स्रावी बाधक रसायन का पता लगाने को लेकर बायोसेंसिंग प्रणाली के लिए तकनीक की शुरुआत

जलीय इकोसिस्टम में अंत:स्रावी बाधक रसायन का पता लगाने को लेकर बायोसेंसिंग प्रणाली के लिए तकनीक की शुरुआत

नई दिल्ली,18 जनवरी 2023- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव अल्केश कुमार शर्मा ने कल यहां मंत्रालय समर्थित परियोजनाओं के तहत विकसित जलीय इकोसिस्टम में अंतःस्रावी (इंडोक्राइन) बाधक रसायनों का पता लगाने को लेकर बायोसेंसिंग (जैव संवेदन) प्रणाली (एमईएएन) के लिए तकनीक की शुरुआत की।

कोलकाता स्थित प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक) ने आईसीएआर-सीआईएफआरआई- बराकपुर के सहयोग से 'कृषि और पर्यावरण में इलेक्ट्रॉनिक्स व आईसीटी एप्लीकेशनों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम' के तहत अंतःस्रावी बाधक रसायन (ईडीसी) का पता लगाने के लिए जलीय इकोसिस्टम में एक बायोसेंसिंग प्रणाली विकसित की है। इसका कार्य जल निकायों में ईडीसी सामग्री के गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण करना है।

इस बायोसेंसिंग आधारित ईडीसी खोज प्रणाली (एमईएएन) की समान तकनीक के आगे व्यावसायीकरण को लेकर उत्तर-पूर्व के विभिन्न स्थानों पर तैनाती के लिए इसे चयनित उद्योग आरोग्यम मेडिसॉफ्ट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को स्थानांतरित किया गया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नई दिल्ली में प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण (टीओटी) समझौता किया गया। कोलकाता स्थित सी-डैक के वरिष्ठ निदेशक व केंद्र प्रमुख और आरोग्यम मेडिसॉफ्ट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ राजीव मोंडल ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

इस दौरान मंत्रालय में सचिव अल्केश कुमार शर्मा, अतिरिक्त सचिव भुवनेश कुमार, समूह समन्वयक सुनीता वर्मा, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में निदेशक (आईटी) नवीन कुमार विद्यार्थी, आईसीएआर-सीआईएफआरआई के निदेशक डॉ. बसंत कुमार दास, कोलकाता स्थित सी-डैक के वरिष्ठ निदेशक व केंद्र प्रमुख देबाशीष मजूमदार, मंत्रालय में वैज्ञानिक ‘डी’ ओम कृष्ण सिंह, अन्य उद्योग साझेदार, परियोजना टीम के सदस्य और विभिन्न उपयोगकर्ताओं व मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य सम्मानित व्यक्ति उपस्थित थे।

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