राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से 2030 तक आयातित जीवाश्म ईंधन की मात्रा में 1 लाख करोड़ रुपए की कमी आने की संभावना
नई दिल्ली-केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बताया है कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से 2030 तक प्रति वर्ष 5 एमएमटी हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता के विकास की उम्मीद है। हरित हाइड्रोजन में प्राकृतिक गैस सहित जीवाश्म ईंधन को ऊर्जा के स्रोत के रूप में या फीडस्टॉक के रूप में, प्रतिस्थापित करने की क्षमता है। जिससे जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता में कमी आती है।
मिशन में उर्वरक उत्पादन, पेट्रोलियम रिफाइनिंग, स्टील, शिपिंग इत्यादि जैसे उद्योगों में ग्रीन हाइड्रोजन से ग्रे हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित करने की परिकल्पना की गई है, जिससे कार्बन पदचिह्न और आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाएगी।2030 तक आयात मात्रा में इस तरह की कमी से 1 लाख करोड़ रुपए की कमी होने का अनुमान है।
इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से 1 किलोग्राम हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए लगभग 10 लीटर डिमिनरलाइज्ड पानी की आवश्यकता होती है। तदनुसार, प्रति वर्ष 5 एमएमटी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए डिमिनरलाइज्ड पानी की आवश्यकता लगभग 50 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) प्रति वर्ष होगी।
उद्योग की प्रतिक्रिया के अनुसार अधिकांश ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र बंदरगाह स्थानों के पास स्थापित होने की संभावना है। ऐसे मामलों में, अलवणीकृत समुद्री पानी का उपयोग हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है।
चूंकि पानी राज्य का विषय है, इसलिए परियोजना डेवलपर्स को पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य के नियमों का पालन करना होगा।
यह जानकारी केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने 5 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में लिखित रूप में दी है।