एक बार ऊर्जा निगमों को निजी घरानों को सौंप दिया गया तो पूरे प्रदेश की बिजली व्यवस्था का होगा निजीकरण
बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों ने मनाया विरोध दिवस
By TPT डेस्क
On
नयी दिल्ली - विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आवाहन पर आज प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों ने विरोध सभा कर अपना आक्रोश व्यक्त किया। 13 जनवरी को बिजली कर्मी पूरे दिन काली पट्टी बंधेंगे और विरोध सभा करेंगे। अवकाश के दिनों में बिजली कर्मी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से आम उपभोक्ताओं के बीच जनजागरण अभियान चलाएंगे।
लखनऊ में शक्ति भवन पर हुई बड़ी विरोध सभा में सैकड़ों की तादाद में बिजली कर्मी मौजूद थे।संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने विरोध सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा आंदोलन निजीकरण वापस होने तक लगातार जारी रहेगा। कहा कि बिजली कर्मचारी किसी धोखे में नहीं है, उन्हें स्पष्ट है कि एक बार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को निजी घरानों को सौंप दिया गया तो पूरे प्रदेश की बिजली व्यवस्था का निजीकरण करने में समय नहीं लगेगा । कहा कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन और शासन का निर्णय संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण का है। शुरुआत पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण से की जा रही है। 13 जनवरी को समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियन्ता पूरे दिन काली पट्टी बंधेंगे और विरोध सभा करेंगे। आन्दोलन के अगले कदम 13 जनवरी को घोषित कर दिये जायेंगे।

कहा बिजली का निजीकरण होने से सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव गरीबी रेखा से नीचे रह रहे आम बिजली उपभोक्ताओं और किसानों का होता है। इसे दृष्टि में रखते हुए संघर्ष समिति ने यह निर्णय लिया है कि अवकाश के दिनों में ग्राम पंचायतों और शहरों में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से आम बिजली उपभोक्ताओं के बीच में जाकर उन्हें निजीकरण से होने वाले गंभीर नुकसान की जानकारी दी जाएगी। मुम्बई में निजी क्षेत्र में बिजली है और वहां घरेलू उपभोक्ताओं को 17-18 रु प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती है। संघर्ष समिति ने जहां जहां भी निजीकरण है वहां के बिजली टैरिफ का चार्ट बनाकर घर घर वितरित करने की वृहत योजना बनाई है।
बताया कि उपभोक्ताओं के साथ निजीकरण का सबसे अधिक खामियाजा बिजली कर्मचारियों को उठाना पड़ेगा। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण होने से लगभग 50 हजार संविदा कर्मियों और 26 हजार नियमित कर्मचारियों की छंटनी होगी। कॉमन केडर के अभियंताओं और जूनियर इंजीनियरों की बड़े पैमाने पर पदावनति और छंटनी होने वाली है। जहां भी निजीकरण हुआ है वहां बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है।

राजधानी लखनऊ के अलावा आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अयोध्या, देवी पाटन, सुल्तानपुर, बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़, मथुरा, झांसी और बांदा में बड़ी सभाएं हुईं।
Related Posts
Latest News
05 Jul 2025 22:41:40
क्या आप जानते हैं कि मोर या तितली के पंखों का रंग असल में पेंट से नहीं, बल्कि उनकी सतह...