2031 तक भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता होगी 22,480 मेगावाट

सरकार ने पेश किया दीर्घकालिक रोडमैप

परमाणु ऊर्जा उत्पादन

भारत सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और कार्बन-रहित भविष्य की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए घोषणा की है कि देश की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता 2031-32 तक 22,480 मेगावाट तक पहुंच जाएगी। यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

सरकार ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें स्वदेशी विकास, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, अनुसंधान एवं विकास, सार्वजनिक-निजी भागीदारी, और नई उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाएगा। यह योजना भारत के दीर्घकालिक 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लक्ष्य की ओर एक निर्णायक कदम मानी जा रही है।

बढ़ती क्षमता 

भारत में वर्तमान में 24 परमाणु रिएक्टर परिचालन में हैं, जिनकी कुल संस्थापित क्षमता 8,780 मेगावाट है। सरकार ने बताया कि देश में 6600 मेगावाट क्षमता वाले 8 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं, जिनमें स्वदेशी 700 मेगावाट दाबयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR) जैसे RAPP-8, GHAVP-1 व 2, स्वदेशी तीव्र प्रजनक रिएक्टर (PFBR), तथा KKNPP 3, 4, 5 और 6 जैसे विदेशी सहयोग से बने हल्के जल रिएक्टर (LWR) शामिल हैं।

7000 मेगावाट क्षमता की 10 नई परियोजनाएं स्वीकृत

इन निर्माणाधीन परियोजनाओं के अलावा, सरकार ने 10 नई परमाणु रिएक्टर परियोजनाओं को स्वीकृति दी है, जिनकी कुल क्षमता 7000 मेगावाट होगी। इन परियोजनाओं में कैगा 5-6, GHAVP 3-4, चुटका 1-2, और माही बांसवाड़ा 1 से 4 शामिल हैं। ये सभी परियोजनाएं स्वदेशी तकनीक से निर्मित की जाएंगी और इनके क्रमिक रूप से चालू होने के साथ ही देश की कुल परमाणु ऊर्जा क्षमता 2031-32 तक 22,480 मेगावाट तक पहुंच जाएगी।

तीन-स्तरीय परमाणु कार्यक्रम 

भारत के त्रि-चरणीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को गति देने के लिए सरकार स्वदेशी फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR) तकनीक को आगे बढ़ा रही है, ताकि सीमित यूरेनियम और प्रचुर थोरियम संसाधनों का इष्टतम उपयोग किया जा सके। यह रणनीति दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का आधार मानी जा रही है।

SMR और भविष्य की ऊर्जा तकनीकों पर विशेष फोकस

परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार का अगला बड़ा फोकस लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) और भारतीय हल्के जल रिएक्टर (LWR) जैसे नई पीढ़ी के रिएक्टरों के अनुसंधान, विकास और तैनाती पर है। इसके तहत सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक परमाणु ऊर्जा मिशन की शुरुआत की है।

SMR तकनीक का उपयोग विशेष रूप से दूरदराज़ के इलाकों और औद्योगिक क्षेत्रों के कार्बन मुक्तिकरण के लिए किया जाएगा। इसके साथ ही भारत रिएक्टरों, ईंधन और सेवाओं के अंतर्राष्ट्रीय निर्यात की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है।

परमाणु ऊर्जा विभाग को कुल 378 पेटेंट अधिकार प्राप्त

भारत सरकार ने जानकारी दी है कि परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) को वर्ष 1985 से अब तक भारत में 235 और विदेशों में 143, कुल मिलाकर 378 पेटेंट अधिकार प्राप्त हुए हैं। यद्यपि पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 4 के अनुसार परमाणु ऊर्जा से संबंधित आविष्कारों पर भारत में पेटेंट नहीं दिया जा सकता, लेकिन विभाग ने अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान आधारित स्पिन-ऑफ तकनीकों के माध्यम से ये पेटेंट अर्जित किए हैं।

प्रमुख पेटेंट उपलब्धियों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, भाभा कवच (नैनो आर्मर पैनल), प्लाज्मा पायरोलिसिस प्रणाली, शिवाय रेफ्रिजरेशन यूनिट, जल शोधन मेम्ब्रेन, तथा कुष्ठ रोग रोधी टीका जैसी सिविल व पर्यावरण हितैषी तकनीकें शामिल हैं।

भारत की परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली पूरी तरह सुरक्षित और नियंत्रित

भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से उत्पन्न रेडियोधर्मी अपशिष्ट का प्रबंधन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप, वैज्ञानिक ढंग से किया जाता है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि अपशिष्टों का उपचार, स्थिरीकरण और सुरक्षित भंडारण एईआरबी और भाभा सुरक्षा परिषद के दिशा-निर्देशों के तहत किया जाता है।

गत 10 वर्षों में कोई भी रेडियोधर्मिता उत्सर्जन की घटना दर्ज नहीं हुई है। संयंत्रों से निकलने वाले निम्न व मध्यम स्तर के ठोस अपशिष्टों को विशेष इंजीनियर संरचनाओं में संयंत्र स्थल पर ही संग्रहित किया जाता है।

प्रयुक्त ईंधन के पुनः प्रसंस्करण से निकले उच्च स्तरीय अपशिष्ट को विट्रिफाइड ग्लास में बदला जाता है। हर अपशिष्ट का नियमन, निगरानी और निपटान परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1987 और एईआरबी सुरक्षा संहिता के अनुसार होता है।

सरकार की पारदर्शी और कठोर अपशिष्ट प्रबंधन नीति आम जनता, पर्यावरण और भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।(PIB)

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