आरडीएसएस के तहत देशभर में 20 करोड़ से अधिक स्मार्ट मीटर स्वीकृत
भारत सरकार की पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के अंतर्गत देशभर में स्मार्ट मीटरिंग को बढ़ावा मिल रहा है। लोकसभा में एक लिखित उत्तर में विद्युत राज्य मंत्री श्रीपाद येसो नाइक ने जानकारी दी कि अब तक 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 20.33 करोड़ स्मार्ट मीटर स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें से 15 जुलाई 2025 तक 2.41 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं।
गुजरात राज्य के संदर्भ में, आरडीएसएस के तहत 1.67 करोड़ स्मार्ट मीटर स्वीकृत हैं, जिनमें से अब तक 20.94 लाख मीटरों की स्थापना हो चुकी है। राज्य में यह कार्य अपने प्रारंभिक चरण में है और विभिन्न क्षेत्रों में लक्ष्य की दिशा में प्रगति जारी है।
नतीजे दिखने लगे हैं
इन सुधारात्मक पहलों का असर अब डेटा में भी नजर आ रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर एटीएंडसी हानियाँ वित्त वर्ष 2021 में 21.91% से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 16.12% रह गई हैं। इसी तरह एसीएस-एआरआर अंतर 0.69 रुपये प्रति किलोवाट घंटे से घटकर अब 0.19 रुपये प्रति यूनिट हो गया है।
सरकार का जोर टियर-II और टियर-III शहरों को भी इन योजनाओं में सम्मिलित करने पर है, ताकि देशभर में समान रूप से वितरण सुधार लागू किए जा सकें।
स्मार्ट मीटरिंग के लाभ
स्मार्ट मीटर वितरण कंपनियों के लिए बिलिंग दक्षता बढ़ाने में एक बड़ा साधन बन रहे हैं। ये मीटर वास्तविक समय में उपभोग डेटा प्रदान करते हैं, जिससे अनुमानित रीडिंग की आवश्यकता समाप्त होती है।मैनुअल रीडिंग के बजाय स्वचालित डेटा संग्रहण मानवीय त्रुटियों को घटाता है।बिजली चोरी की पहचान और नियंत्रण संभव हो पाता है, जिससे राजस्व की वसूली सुनिश्चित होती है।
सुधार के लिए सरकार के प्रमुख प्रयास
सरकार वितरण क्षेत्र को वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन रूप से कुशल बनाने हेतु कई उपाय कर रही है।आरडीएसएस के तहत राज्यों को धनराशि उसी स्थिति में जारी की जाती है जब वे एटीएंडसी हानियों और एसीएस-एआरआर अंतर जैसे मानकों में सुधार करें।हानि नियंत्रण उपायों को अपनाने वाले राज्यों को 0.5% अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति दी जाती है।वितरण कंपनियों को ऋण देने के लिए प्रदर्शन आधारित अतिरिक्त मापदंड लागू किए गए हैं।ईंधन और बिजली खरीद लागत के त्वरित समायोजन और लागत प्रतिबिंबित टैरिफ को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।