गाम्बिया में बच्चों की मौत में भारतीय दवा कम्पनी का नाम सामने आने पर डब्लूएचओ अलर्ट पर
नई दिल्ली,6 अक्टूबर 20022- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 29 सितंबर 2022 को भारत के राष्ट्रीय औषधि नियामक- ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) को सूचित किया कि डब्ल्यूएचओ वर्तमान में गाम्बिया को तकनीकी सहायता और सलाह प्रदान कर रहा है, जहां बच्चों की मौत के पीछे का कारण डायथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित दवाओं का उपयोग माना जा रहा है (कुछ नमूनों में डब्ल्यूएचओ द्वारा किए गए आगे के विश्लेषण से इसकी पुष्टि होने का दावा किया गया था)।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने तुरंत हरियाणा राज्य नियामक प्राधिकरण के साथ यह मामला उठाया, जिसके अधिकार क्षेत्र में मेसर्स मेडन फार्मास्युटिकल लिमिटेड, सोनीपत की दवा निर्माण यूनिट स्थित है। इसके अलावा, राज्य औषधि नियंत्रक, हरियाणा के सहयोग से मामले में तथ्यों/विवरणों का पता लगाने के लिए एक विस्तृत जांच शुरू की गई है।
सीडीएससीओ की प्रारंभिक जांच से यह पता चला है कि सोनीपत स्थित मैसर्स मेडन फार्मास्युटिकल लिमिटेड प्रोमेथाज़िन ओरल सॉल्यूशन बीपी, कोफेक्सनालिन बेबी कफ सिरप, माकॉफ बेबी कफ सिरप और माग्रिप एन कोल्ड सिरप नाम के उत्पादों के लिए राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा एक लाइसेंसधारी निर्माता है और इसके पास इन उत्पादों के निर्यात के लिए मैन्यूफैक्चरिंग की अनुमति है। इसी कंपनी ने इन उत्पादों का निर्माण और निर्यात केवल गाम्बिया को किया है।
यह एक सामान्य प्रथा है कि जो देश किसी भी उत्पाद का आयात करता है, वही आयातित उत्पादों का परीक्षण गुणवत्ता मानकों पर करता है और यदि वह गुणवत्ता से सतुंष्ट है तो इसी के आधार पर उत्पादों के उपयोग की अनुमति अपने देश में देता है।
डब्ल्यूएचओ द्वारा प्राप्त किए गए प्रारंभिक परिणामों के अनुसार, जिन 23 नमूनों का परीक्षण किया गया था, उनमें से 4 नमूनों में डायथाइलीन ग्लाइकॉल/एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया है। डब्ल्यूएचओ द्वारा बताया गया है कि विश्लेषण का प्रमाण पत्र निकट भविष्य में डब्ल्यूएचओ को उपलब्ध कराया जाएगा और डब्ल्यूएचओ इसे भारतीय नियामक के साथ साझा करेगा, जो अभी होना बाकी है। डब्ल्यूएचओ द्वारा सीडीएससीओ को एक एक मृत्यु के कारण और इनके आपसी संबंध के बारे में कोई जानकारी प्रदान नहीं की गई है।
एक मजबूत राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण के रूप में, सीडीएससीओ ने डब्ल्यूएचओ से अनुरोध किया है कि वह जल्द से जल्द इन उत्पादों और मौतों के बीच के संबंध को स्थापित करने वाली रिपोर्ट साझा करे।
स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने उक्त कंपनी को केवल इन चार दवाओं- प्रोमेथाज़िन ओरल सॉल्यूशन बीपी, कोफ़ेक्सनालिन बेबी कफ सिरप, माकॉफ़ बेबी कफ सिरप और मैग्रिप एन कोल्ड सिरप- के निर्यात के लिए लाइसेंस दिए थे। इसके अलावा इन सभी 4 दवाओं का निर्माण केवल मैसर्स द्वारा निर्यात के लिए किया जाता है। मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड को भारत में निर्माण और बिक्री के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया है। वास्तव में, मेसर्स मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की इन चार दवाओं में से कोई भी भारत में घरेलू स्तर पर नहीं बेची जाती है।
नमूनों (मैसर्स मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा निर्मित जिन सभी चार दवाओं पर सवाल है, उनके एक ही बैच के नियंत्रित नमूने) को सीडीएससीओ द्वारा क्षेत्रीय ड्रग टेस्टिंग लैब, चंडीगढ़ को परीक्षण के लिए भेजा गया है, जिसके परिणाम रिपोर्ट से आगे की कार्रवाई के साथ-साथ डब्ल्यूएचओ से प्राप्त इनपुट्स पर स्पष्टता लाने में मदद मिलेगी।