अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट-अप, एमएसएमई और निजी इनोवेटर्स से प्रस्ताव आमंत्रित
नई दिल्ली- खान मंत्रालय ने स्टार्ट-अप और एमएसएमई में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। मंत्रालय खनन, खनिज प्रोसेसिंग, धातुकर्म और रीसाइक्लिंग क्षेत्र में स्टार्ट-अप और एमएसएमई में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना एस एंड टी-पीआरआईएसएम के लिए दिशानिर्देश लाया है। इस संबंध में स्टार्टअप, एमएसएमई और व्यक्तिगत इनोवेटर्स से दो साल तक की अवधि के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए जाएंगे। इनका वित्त पोषण के लिए खनिज क्षेत्र, खनन और औद्योगिक अनुप्रयोगों के व्यावहारिक और टिकाऊ पहलू पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
लिए गए उपरोक्त निर्णय उन्हें आगे बढ़ने में सक्षम बना सकता है जिससे वे निवेश जुटाने में सक्षम होंगे या वाणिज्यिक बैंकों/वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने की स्थिति में होंगे। वित्त पोषण अपेक्षाकृत रूप से बिना किसी परेशानी के नवाचारी प्रोद्योगिकियों, उत्पादों/ सेवाओं के विकास और व्यावसायीकरण के बीच एक संतुलन के रूप में काम करने के लिए उपलब्ध होगा।
एस एंड टी-प्रिज्म का मुख्य विचार अनुसंधान या प्रौद्योगिकी (उत्पाद/प्रक्रिया/सेवाओं) में बदलाव लाना है, लेकिन खुले तौर पर इसका अर्थ मौलिक अनुसंधान करना नहीं है। जांच से नवाचार या नए उत्पाद/प्रक्रिया को बढ़ावा मिलना चाहिए और उन्हें प्रदर्शन या पायलट स्केल तैनाती (केवल प्रकाशन/पेटेंट के लिए नहीं) के लिए तैयार किया जाना चाहिए।
जवाहरलाल नेहरू एल्युमीनियम अनुसंधान विकास और डिजाइन केंद्र, नागपुर, खान मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक स्वायत्त निकाय है। जो एस एंड टी-पीआरआईएसएम के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगा।
चयन किए गए स्टार्ट-अप और एमएसएमई को संरक्षण या इनक्यूबेशन सहायता और तकनीकी सलाहकार सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा, कार्यान्वयन एजेंसी के तहत स्टार्टअप और एमएसएमई को पूरी परियोजना विकास अवधि के दौरान सुविधा और मार्गदर्शक टीम द्वारा तकनीकी समापन की तारीख से दो साल की अवधि के लिए भी यह सहायता प्रदान की जाएगी। मार्गदर्शन सहायता के दायरे में सलाह, नेटवर्किंग, संसाधनों का दोहन, पायलटिंग, व्यवसाय योजना और धन जुटाना शामिल होगा। इसके अलावा, खनन, खनिज प्रोसेसिंग, धातुकर्म और रीसाइक्लिंग क्षेत्र में समर्थित स्टार्टअप और एमएसएमई के लिए भी प्रायोगिक अवसर उपलब्ध कराया जाएगा। पूर्वोत्तर क्षेत्र और महिला नेतृत्व वाले उद्यमों के स्टार्टअप/एमएसएमई को प्राथमिकता दी जाएगी।
खनन अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) के लिए एक मजबूत विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) आधार की आवश्यकता को अच्छी तरह से अनुभव किया गया है। सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए भारतीय परिस्थितियों के लिए प्रासंगिक विश्वसनीय डेटा और नए अनुसंधान एवं विकास से ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से खनन में अनुसंधान की व्यापक आवश्यकता है। वर्ष 1978 से, खान मंत्रालय खान संरक्षण और प्रबंधन के व्यापक दायरे के तहत विभिन्न क्षेत्रों में कई अनुसंधान संस्थानों को अनुदान परियोजनाओं के माध्यम से वित्तपोषित कर रहा है। मंत्रालय ने खनन विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान को मजबूती प्रदान करने के लिए कई नई पहल की हैं।
खनिज संसाधनों के निष्कर्षण और इसकी परिहार्य आर्थिक मिश्र धातुओं और धातुओं में समावेशिता में सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, गति और दक्षता के सर्वोपरि महत्व को मान्यता देते हुए राष्ट्रीय खनिज नीति ने अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) कार्यक्रमों को उच्च प्राथमिकता दी है।