भारत का वार्षिक प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन वैश्विक औसत की तुलना में केवल एक-तिहाई

भारत का वार्षिक प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन वैश्विक औसत की तुलना में केवल एक-तिहाई

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 'आर्थिक समीक्षा 2023-24' पेश करते हुए भारत की जलवायु परिवर्तन समाधान में महत्वपूर्ण उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि भारत, विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, वैश्विक औसत की तुलना में केवल एक-तिहाई प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन करता है।

भारत ने जलवायु के अनुकूल कार्रवाई में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसमें 2021 में गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोतों से बिजली की कुल स्थापित क्षमता का 40% हिस्सा शामिल है। इसके अतिरिक्त, भारत ने 2005 के स्तर पर जीडीपी के उत्सर्जन को 33% कम किया, जिसे लक्ष्य वर्ष 2030 से 11 वर्ष पहले ही हासिल कर लिया गया। वर्तमान में, कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी 45.4% तक पहुंच चुकी है।

समीक्षा में भारत के निम्न कार्बन विकास की चुनौतियों का भी जिक्र किया गया, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की बढ़ती मांग और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की गति में वृद्धि की आवश्यकता पर बल दिया गया। सरकार ने हरित वित्त को बढ़ावा देने के लिए सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी किए, जिनसे 2023 में 36,000 करोड़ रुपए जुटाए गए।

भारत के अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए, समीक्षा ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और आपदा सहनीय अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) जैसी पहलों का उल्लेख किया। 'मिशन लाइफ' के अंतर्गत, भारत ने एक ग्रीन क्रैडिट कार्यक्रम भी शुरू किया, जो पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों में भाग लेने के लिए व्यक्तियों और संगठनों को प्रोत्साहित करता है।

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