भारी विफलताओं के बावजूद यूपी में ऊर्जा सेक्टर के निजीकरण ने उठाये गंभीर सवाल

जनता के विश्वास का दुरुपयोग

उत्तर प्रदेश बिजली कर्मियों का विरोध प्रदर्शन
फाइल फोटो

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बिजली क्षेत्र में निजीकरण को पुनः लागू करने के निर्णय ने कई विवादों को जन्म दिया है। पहले के निजीकरण प्रयासों में हुए भारी घाटे और अनियमितताओं के बावजूद इस दिशा में फिर से कदम उठाना न केवल आश्चर्यजनक है, बल्कि जनता के विश्वास का दुरुपयोग भी कहा जा सकता है। सरकारी विभागों के संभावित लाभ को निजी कंपनियों को सौंपने की मंशा ने बिजलीकर्मियों को पुनः आक्रोशित कर दिया है।
 
14 वर्षों में निजीकरण से 2434 करोड़ रूपये की क्षति
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने बताया कि 01 अप्रैल 2010 को आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेन्ट पॉवर को सौंपी गयी थी। निजीकरण के करार के अनुसार पावर कारपोरेशन टोरेन्ट पॉवर को बिजली देता है। वर्ष 2023-24 में पावर कारपोरेशन ने 4.36 रूपये प्रति यूनिट की दर से टोरेन्ट पॉवर को 2300 मिलियन यूनिट बिजली दी। पॉवर कारपोरेशन ने यह बिजली रूपये 5.55 रूपये प्रति यूनिट की दर से खरीदी थी। इस प्रकार पॉवर कारपोरेशन को वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगभग 275 करोड़ रूपये की क्षति हुई। 14 वर्षों में निजीकरण के इस प्रयोग से पॉवर कारपोरेशन को 2434 करोड़ रूपये की क्षति हो चुकी है।
 
आगरा में होती भारी कमाई
उल्लेखनीय है कि आगरा लेदर कैपिटल है, एशिया का सबसे बड़ा चमड़ा उद्योग है और पर्यटन का केन्द्र होने के नाते सबसे अधिक पाँच सितारा होटल आगरा में ही है। यदि आगरा शहर की बिजली व्यवस्था पावर कारपोरेशन के पास बनी रहती तो पॉवर कापोरेशन को आज आगरा से 8 रूपये प्रति यूनिट से अधिक का राजस्व मिलता। 
 
निजी कंपनी ने नहीं किया बिजली घर स्थापित
ग्रेटर नोएडा में करार के अनुसार निजी कम्पनी को अपना विद्युत उत्पादन गृह स्थापित करना था जिसे उसने आज तक नहीं बनाया है। ग्रेटर नोएडा में इंडस्ट्रियल और कॉमर्शियल लोड 85 प्रतिशत है। इस प्रकार भारी कमाई का क्षेत्र निजी हाथों में चला गया है जिससे पॉवर कारपोरेशन को बड़ी आर्थिक क्षति हो रही है। ग्रेटर नोएडा में निजी कम्पनी किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दे रही है। इसके अतिरिक्त घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली देने में भी निजी कम्पनी की रूचि नहीं है। इससे उपभोक्ताओं को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। 
 
निजीकरण के विफल प्रयोगों की हो समीक्षा
संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री से अपील की है कि वे प्रभावी हस्तक्षेप करें जिससे पावर कारपोरेशन प्रबन्धन के निजीकरण के एकतरफा फैसले को कर्मचारियों के व्यापक हित में निरस्त किया जाये। संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से अपील की है कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में किए गए निजीकरण के विफल प्रयोगों की समीक्षा किये बिना प्रदेश में निजीकरण का कोई और प्रयोग न किया जाये।
 
10 दिसम्बर को काली पट्टी बांध कर करेंगे कार्य 
संघर्ष समिति ने कहा है कि बिजली कर्मी सरकार का ध्यानाकर्षण करने हेतु 10 दिसम्बर को पूरे दिन काली पट्टी बांध कर कार्य करेंगे और बिजली व्यवस्था या कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होने देंगे।
 
ये रहे मौजूद 
राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह। 

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