बिजली का 'झूठा घाटा' या घोटाले की तैयारी? पावर कॉर्पोरेशन पर बड़ा सवाल !

सब्सिडी को घाटे में शामिल करने की साजिश

आरएफपी दस्तावेज में घाटे का आंकड़ा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का आरोप

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने बिजली के निजीकरण को लेकर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि पावर कॉर्पोरेशन ने जानबूझकर घाटे के आंकड़े बढ़ाकर पेश किए हैं ताकि निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया जा सके। समिति का कहना है कि आरएफपी दस्तावेज में 45 हजार करोड़ रुपये का घाटा दिखाया गया है, जो भ्रामक और निराधार है।

संघर्ष समिति ने कहा कि किसानों, बुनकरों और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सब्सिडी को घाटे में जोड़कर गलत चित्र पेश किया गया है, जबकि यह खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। समिति का कहना है कि यही पावर कॉर्पोरेशन निजी कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी का अग्रिम भुगतान करने को तैयार है, जिससे उसकी मंशा पर सवाल उठते हैं।

फर्जी शपथ पत्र और घोटाले की आशंका

उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण के निजीकरण को लेकर अब ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया ने भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। संस्था के कार्यकारी निदेशक एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रमानाथ झा ने कहा है कि इस निजीकरण प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं हो रही हैं और यह एक संभावित मेगा घोटाले का संकेत है।

रमानाथ झा के अनुसार, इस प्रक्रिया के लिए नियुक्त ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन को अवैध ढंग से चुना गया है। इतना ही नहीं, कंपनी द्वारा नियामकीय संस्थाओं के समक्ष झूठा शपथ पत्र भी दिया गया, जो गंभीर फर्जीवाड़ा है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने इस विषय में एक माह पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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संस्था का कहना है कि इस मामले में शासन और पावर कॉरपोरेशन के कुछ उच्च अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल का मानना है कि निजीकरण की पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता, जवाबदेही और जनहित के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।

रमानाथ झा ने यह भी स्पष्ट किया कि 22 जून को लखनऊ में होने वाली बिजली महापंचायत में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इस मुद्दे को पूरे जोर-शोर से उठाएगी और जनता के सामने निजीकरण के पीछे छिपे सच को उजागर करेगी।

संस्था ने मांग की है कि जब तक इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच न हो, तब तक निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इसे एक लोकतांत्रिक और जनहित से जुड़ा गंभीर मुद्दा मानती है।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने भी बिजली के निजीकरण को जनहित के विरुद्ध बताते हुए कहा है कि "प्रदेश को लालटेन युग में नहीं जाने देंगे।"

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संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि यह पूरा खेल निजी घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए आंकड़ों की हेराफेरी का है। उन्होंने मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच कराई जाए।

वहीं आज प्रदेशभर के विभिन्न शहरों वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, अलीगढ़, झांसी, ओबरा, अनपरा आदि में बिजली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया और महापंचायत को सफल बनाने की अपील की।

 

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