खनन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का प्रयास-केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री
नई दिल्ली- केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर मेंबताया कि खान मंत्रालय ने खनिज उत्पादन बढ़ाकर कुल खनिज खपत में घरेलू खनन की हिस्सेदारी में वृद्धि करने और खनन क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर भारत' बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर अधिनियम, 1957) में संशोधन किये गए, जो 28.03.2021 से प्रभावी है। इनका उद्देश्य अन्य बातों के साथ-साथ खनिज उत्पादन में वृद्धि और खानों का समयबद्ध संचालन, खनन क्षेत्र में रोजगार और निवेश में वृद्धि करना तथा खनिज संसाधनों की खोज और नीलामी की गति बढ़ाना है। कुछ प्रमुख संशोधनों में शामिल हैं - खानों की नीलामी के लिए अंतिम उपयोग प्रतिबंधों को हटाना, कैप्टिव खानों को संबंधित संयंत्रों की आवश्यकता को पूरा करने के बाद वर्ष के दौरान उत्पादित खनिजों का 50% तक बेचने की अनुमति देना और खनिज रियायतों के हस्तांतरण पर प्रतिबंध हटाना।
एमएमडीआर अधिनियम, 1957 को पुनः एमएमडीआर संशोधन अधिनियम, 2023 के माध्यम से संशोधित किया गया, जो 17.08.2023 से प्रभावी है। इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण और गहरे खनिजों की खोज और उत्पादन को बढ़ाना है, जो उच्च तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, परिवहन और रक्षा सहित कई क्षेत्रों की उन्नति के लिए आवश्यक हैं।
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए सुधारों के परिणामस्वरूप, 2015 में नीलामी व्यवस्था की शुरुआत के बाद से देश में कुल 385 खनिज ब्लॉकों की नीलामी की गई है। इनमें से 50 खान पहले से ही उत्पादन कर रहे हैं।
ये संशोधन प्रमुख खनिजों के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक रहे हैं, उदाहरण के लिए, लौह अयस्क का उत्पादन 2014-15 के 129 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में 258 मिलियन टन हो गया है और चूना पत्थर का उत्पादन 2014-15 के 295 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 में 406 मिलियन टन हो गया है।
खनन एवं उत्खनन क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) देश के सकल घरेलू उत्पाद का 2 प्रतिशत है। मूल्य के संदर्भ में खनन एवं उत्खनन क्षेत्र का योगदान 2014-15 के 2,90,411 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 3,18,302 करोड़ रुपये हो गया है।