केन्द्र सरकार ले आई एकीकृत पेंशन योजना
नई दिल्ली- पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर वर्षों से सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी झेल रही केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एकीकृत पेंशन योजना को मंजूरी दी है। नई पेंशन स्कीम को लेकर वित्तीय असुरक्षा की भावना में जी रहे सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को एकीकृत पेंशन योजना से राहत मिलेगी। सरकार के अनुसार इस योजना का मुख्य उद्देश्य सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। सरकार की घोषणा के बाद सरकारी कर्मचारी सहित ट्रेड यूनियन योजना को पूरी तरह समझने में जुट गये हैं।
योजना को लेकर विशेषज्ञों और ट्रेड यूनियनों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई हैं। ट्रेड यूनियनों की मुख्य चिंता यह है कि यूपीएस, पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की जगह नहीं ले सकता, क्योंकि यह पूरी तरह से सुनिश्चित पेंशन प्रदान नहीं करता। कुछ यूनियनों का मानना है कि जब तक सरकार पूर्ण रूप से सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान नहीं करती, तब तक यह योजना पर्याप्त नहीं मानी जा सकती। वहीं, कुछ विशेषज्ञ यूपीएस को एक संतुलित कदम मान रहे हैं।
- सुनिश्चित पेंशन: यूपीएस के तहत, कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उनके अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा, बशर्ते उन्होंने कम से कम 25 वर्ष की सेवा पूरी की हो।
- सुनिश्चित पारिवारिक पेंशन: कर्मचारी की मृत्यु के बाद, उसके परिवार को उसकी पेंशन का 60% पारिवारिक पेंशन के रूप में मिलेगा।
- सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन: न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा के बाद, कर्मचारी को 10,000 रुपये प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी जाएगी।
- महंगाई सूचकांक: पेंशन पर महंगाई राहत का प्रावधान है, जो औद्योगिक श्रमिकों के अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर निर्धारित की जाएगी।
न्यूनतम पेंशन का प्रावधान
पुरानी पेंशन योजना जैसे ही यूपीएस में भी संगठित और सुनिश्चित वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने का दावा किया जा रहा है। न्यूनतम पेंशन का प्रावधान कम समय तक काम करने वाले वाले कर्मियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।