पॉवर सेक्टर के कर्मचारियों और इंजीनियरों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की मांग
नई दिल्ली- ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद सम्मानजनक जीवन प्रदान करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल का स्वागत किया है। फेडरेशन ने इस संदर्भ में प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि देश भर के पॉवर सेक्टर के कर्मचारियों और इंजीनियरों के लिए भी पुरानी पेंशन की व्यवस्था लागू की जाए। पत्र की प्रतिलिपि सभी प्रांतों के मुख्यमंत्रियों को भी प्रेषित की गई है, ताकि पॉवर सेक्टर में पुरानी पेंशन की बहाली के लिए दबाव डाला जा सके।
फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे और सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव ने बताया कि यद्यपि यूनिफाइड पेंशन स्कीम पुरानी पेंशन स्कीम का विकल्प नहीं है और यूपीएस तथा ओ पी एस में कई विसंगतियां हैं, फिर भी पॉवर सेक्टर के कर्मचारियों की स्थिति अत्यंत दयनीय है और उन्हें न्याय मिलना चाहिए।
कहा कि राज्य बिजली बोर्ड के विघटन के बाद भर्ती होने वाले कर्मचारियों को पेंशन से वंचित कर दिया गया है। इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के निगमीकरण के समय जारी ट्रांसफर स्कीम, रिफॉर्म एक्ट या इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में कहीं पर भी यह उल्लेख नहीं है कि निगमीकरण के बाद भर्ती होने वाले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नहीं दी जाएगी।
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कहा कि इसके अलावा, विभिन्न प्रांतों और केंद्र शासित राज्यों में पॉवर सेक्टर के कर्मचारियों के लिए अलग-अलग पेंशन नीतियां हैं—कुछ जगहों पर ईपीएफ, कुछ पर सी पी एफ और कुछ जगहों पर एनपीएस लागू है। कुछ प्रांतों में ईपीएफ और सी पी एफ दोनों चल रहे हैं।
केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन देने की पहल के बाद, यह महत्वपूर्ण है कि पावर सेक्टर के कर्मचारियों के बीच एकरूपता लाने के लिए सभी कर्मचारियों को एक समान पुरानी पेंशन का विकल्प दिया जाए।
राजस्थान और झारखंड में पॉवर सेक्टर के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल की जा चुकी है, और इस आधार पर पूरे देश में समान नीति लागू करने की मांग की गई है। पॉवर सेक्टर के कर्मचारी देश को निर्बाध बिजली प्रदान कर रहे हैं और विकास के इंजन हैं, इसलिए उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इस मामले में न्याय प्रदान करेंगे और पावर सेक्टर के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन लागू करेंगे।