केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में जल विद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए इक्विटी भागीदारी को मंजूरी दी
नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में जल विद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए राज्य सरकारों को केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान करने की योजना को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य राज्य संस्थाओं और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बीच संयुक्त उद्यम (जेवी) के माध्यम से जल विद्युत परियोजनाओं को विकसित करना है।
परियोजना का विवरण:
- कुल बजट: ₹4136 करोड़
- समय सीमा: वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2031-32 तक
- लक्ष्य: 15,000 मेगावाट की जल विद्युत क्षमता का विकास
इस योजना के तहत, राज्य सरकारों को परियोजना में 24 प्रतिशत तक इक्विटी भागीदारी के लिए सहायता प्रदान की जाएगी, जो प्रति परियोजना अधिकतम ₹750 करोड़ तक हो सकती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य सरकारों को जल विद्युत परियोजनाओं में भागीदार बनाना और परियोजनाओं के समय और लागत को कम करना है।
इक्विटी क्या होती है? इक्विटी का मतलब किसी कंपनी या परियोजना में मालिकाना हक का वह हिस्सा है जो शेयरधारकों को मिलता है। यह निवेशकों के लिए कंपनी की वास्तविक संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है और उन्हें लाभांश और पूंजीगत वृद्धि का हिस्सा प्राप्त होता है। परियोजनाओं के संदर्भ में, इक्विटी निवेश वह राशि होती है जिसे परियोजना में लगाए गए कुल धन का हिस्सा माना जाता है, और इसके बदले निवेशक को उस परियोजना में मालिकाना हक मिलता है।
इस योजना के माध्यम से, जल विद्युत परियोजनाओं के विकास में राज्य सरकारों की अधिक सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, जिससे उन्हें न केवल परियोजनाओं में आर्थिक लाभ होगा, बल्कि राज्य के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। यह योजना पूर्वोत्तर क्षेत्र की जल विद्युत क्षमता का अधिकतम उपयोग करने में भी सहायक होगी, जिससे इस क्षेत्र में व्यापक निवेश और रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।