भला फेंक में अजीत सिंह यादव ने रजत पदक जीता
सुन्दर को मिला कांस्य
नई दिल्ली-भारत के अजीत सिंह यादव ने भाला फेंक में अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीत लिया है।पेरिस पैरालंपिक के भला फेंक F46 के फाइनल में उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन करते हुए 65.62 मीटर भाला फेंक कर यह उपलब्धि प्राप्त की। वहीँ विश्व रिकॉर्ड बना चुके गुर्जर सुंदर सिंह को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। इस स्पर्धा में स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार रिंकू हुड्डा अपेक्षित प्रदर्शन नही कर पाए। उन्हें पांचवें स्थान से संतोष करना पड़ा । क्यूबा के वरोना गोंजाल्वेज ने स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा जमाया ।
भारत के पास इस फाइनल में स्वर्ण पदक जीतने की अच्छी संभावनाएं थी, खासकर रिंकू और सुंदर सिंह के साथ, जो अपनी शानदार फॉर्म और उच्च प्रदर्शन के कारण प्रमुख दावेदार थे। रिंकू और सुंदर सिंह की हाल की सफलता भारतीय दर्शकों के लिए उम्मीद का संचार कर रही थी। फाइनल में दोनों भारतीय खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस पर नज़र थी लेकिन अजित सिंह ने अप्रत्याशित प्रदर्शन कर रजत पदक पर कब्जा जमा लिया ।
अजीत सिंह के जीवन का सफर: एक प्रेरणादायक कहानी
अजीत सिंह, जो 5 सितंबर 1993 को जन्मे थे, ने अपनी ज़िंदगी को चुनौतियों से लड़ने का एक उदाहरण बनाया है। ग्वालियर, भारत के निवासी अजीत पैरालंपिक एथलीट हैं और वर्तमान में 30 वर्ष के हैं। वे F46 स्पोर्ट क्लास में पुरुषों के भाला फेंक प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्रमुख उपलब्धियां और पुरस्कार
अजीत ने 2023 में पेरिस में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में पहला स्थान हासिल कर 65.41 मीटर का शानदार प्रदर्शन किया। इसके अलावा, उन्होंने 2024 में कोबे, जापान में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में तीसरा स्थान (62.11 मीटर) प्राप्त किया। 2022 के एशियन पैरा गेम्स में भी उन्होंने 63.52 मीटर के साथ कांस्य पदक जीता। अजीत को उनकी उत्कृष्टता के लिए जनवरी 2024 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा लक्ष्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
जीवन की चुनौतीपूर्ण यात्रा
अजीत ने 2017 में एक दुर्घटना के बाद पुनर्वास के दौरान भाला फेंकना शुरू किया। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्म-प्रेरणा ने उन्हें इस खेल में निपुण बना दिया। उन्होंने अपनी शिक्षा लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन, ग्वालियर से की, जहां वे शारीरिक शिक्षा में पीएचडी कर रहे हैं और वहीं शोध सहायक के रूप में भी कार्यरत हैं।
जीवन दर्शन और महत्वाकांक्षाएँ
अजीत का मानना है कि "दर्द एक एथलीट के लिए आभूषण की तरह है। अगर दर्द नहीं है, तो सफलता का कोई मतलब नहीं है।" उनकी यही दृढ़ता और संकल्प ने उन्हें अपने जीवन में इस मुकाम तक पहुंचाया है। 2024 पैरालंपिक खेलों में भाग लेना उनका मुख्य लक्ष्य है।
अजीत सिंह की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन की कठिनाइयों से लड़कर अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। उनका संघर्ष और समर्पण हमें सिखाता है कि आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।