यूपी के बिजली विभाग के विद्यालयों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी  

यूपी के बिजली विभाग के विद्यालयों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी  

 

 

लखनऊ-उत्तर प्रदेश राज्य विधुत उत्पादन निगम की तमाम विधुत परियोजनाओं में मौजूद विद्यालयों को शिक्षा विभाग को सौपने के निर्णय को पलटते हुए अब उन्हें निजी हाथों में देने की तैयारी की जा रही है।निगम प्रबंधन ने ओबरा,अनपरा,हरदुआगंज,पनकी एवं पारीछा परियोजना के मुख्य अभियंता से निगमीय विद्यालयों को निजी संस्थानों को सौंपने की संभावनाओं का परीक्षण कर आख्या मांगी है। निगम प्रबंधन की तेजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके लिए मात्र तीन दिन का समय दिया गया है। चार अप्रैल को जारी आदेश के तहत सात अप्रैल को आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। इस आदेश के बाद निगम प्रबंधन के ऊपर कई सवाल खड़े हो गए हैं। खासकर शिक्षकों की कई वर्षों से भर्ती रोकने की नीति से अब निजीकरण की छुपी मंशा जगजाहिर होने लगी है। इससे पहले उत्पादन निगम प्रबंधन ने जून 2019 में सभी परियोजनाओं में मौजूद विद्यालयों के प्रान्तीयकरण का निर्णय लिया था ।निगम के निदेशक मंडल ने निगम के अधीनस्थ परियोजनाओं में संचालित समस्त विद्यालयों को शिक्षा विभाग को सौंपने के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश शासन को भेजने हेतु अनुमोदन प्रदान किया था। साथ ही प्रान्तीयकरण से पहले शिक्षकों की नई भर्ती पर रोक लगा दिया था।अब लगभग पौने तीन वर्ष बीतने के बावजूद प्रान्तीयकरण का कोई अता पता तो नहीं चला,लेकिन अब विद्यालयों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी शुरू कर दी गयी। 

शिक्षक भर्ती पर रोक ने बदली हालत 

शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगाने से हालत यह है कि उत्पादन निगम के सबसे बड़े विद्यालय ओबरा इंटर कालेज में 91 के सापेक्ष मात्र छह शिक्षक ही बचे हैं।विद्यालय में प्रवक्ता के कुल 23 पद सृजित है जिसमे केवल चार प्रवक्ता ही कार्यरत है। सबसे बुरा हाल एलटी ग्रेड के शिक्षकों का है। यहाँ कुल सृजित 68 पदों के सापेक्ष मात्र दो शिक्षक ही बचें हैं।प्रदेश के इस प्रतिष्ठित विद्यालय के शैक्षिक गुणवत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उत्पादन निगम अंतर्गत बंद हुए प्राइमरी स्कूल के करीब 17 सहायक अध्यापकों से एलटी और प्रवक्ता ग्रेड का कार्य लिया जा रहा है।

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